Monday, March 26, 2018

एक वहशी दरिंदे ने अपनी ज़िंदगी बचाने और लुटेरों के अपने जिहादी दस्तों को बचाने के लिये दूसरे लुटेरों सेH युद्ध किया तो पहले शैतान की औलाद उसको मसीहा बात रहीहै।

अलाउद्दीन खिलज़ी के शैतान चेहरे को लेकर अब यह दिख रहा है कि नफरत में डूबे लोग विरोध किस चीज का कर रहे है और क्यों कर रहे हैयह गुम ही होता जा रहा है।
पहले पद्मावती को लेकर सवाल फिर अलाउद्दीन को बाप बताना का सिलसिला शुरू हुआ।
अपने होने को लेकर घृणा में डूबे यह सेक्युलर बौनो की जमात अब वामपंथी इतिहास का झूठन परोस रही है।
ंगोलो से हिंदुस्तान बचाने का funda । यानि दाऊद इब्राहिम आतंकी नहीं खुदा का बंदा है आखिर दूसरे गुंडों डॉय बचाया।
फिर टैक्स रिफार्म का नारा यह गायब किया कि हिन्दू को घोड़े तक चढ़ने और कपड़े पहने से महरूम करने के लिये यह शुरू किया। और पहले देश टैक्स की व्यवस्था पर ही चलता था।
रेट फिक्स करना यह बचाया कि हिंदू यानि काफिरों की औरतों लड़कियों और नाबालिग लड़कों का गुलाम
वयापार सजाया गया और उसका भी रेट उसी किताबमें उसी पेज पर था जिसको यह जिहादी नहीं पढ़ पा रहे है।
दरअसल ये बलात्कारियों की वो संतान है जो बलात्कार को परंपरा बता रहे है।
आखिरी में एक जवाब देता हूँ कि हरम ही नहीं दासियों और गुलाम औरतौं से जनमे बच्चोंको बाप का नाम दिया जाता था उन्ही किताबों में लिखा है।
गुलामी के व्यापार का आलम है कि 4 लाख गुलाम सिर्फ ख़लीफ़ा के राज्य को हर साल चाहिये होते थे।
(References है जिसको चाहिये मांग सकता है वही सब किताबे है जिनका आधा छिपाकर वाम्पनGहियों ने इतिहास लिखा और उसे पढ़कर बौने विद्वान बन रहे है)

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