Monday, March 26, 2018

नौकरशाहों के सामने नाचते योगी

योगी की औकात नौकरशाह नाप कर रोज दिखा रहे है। पहले सड़कों का झूठ फिर कानून व्यवस्था और अब अस्पताल में मौत का नंगा नाच। लखनऊ में हुए हादसे में वाईसचांसलर से ही रिपोर्ट बनवा दी। ऐसे में पहले दिन के कुछ भाषणों से ही मालूम हो गया था कि जनता को एक भाषवबाज मिल गया है। जनता ने लाईंनों में लगकर देश के खिलाफ दिख रही राजनीति को मात देने की कोशिश की लेकिन जिस नायक को गोदी में चढ़ाया वो नौकरशाहों की महफिले में नाचता सा दिख रहा है। गाजियाबाद जैसे शहर में वही चोर अफसरों की तैनाती उन्हीं मलाईदार पोस्टिंग्स पर देखकर लग रहा था कि बौंनों को कितनी भी ऊंचाई पर बैठा दो बौंना ही रहेगा। ( बात किरदार की है किसी भी इंसान के कद को लेकर तंज नहीं है गोरखपुर में मारे गए बदनसीब बच्चों की स्मृतियां उनके परिवार के लोगों को कभी चैन से सोने नहीं देगी। हो सकता है मोदी और योगी के विरोधी धार्मिक आधार पर इस मौके को भुनाने लगे। ऐसे लोगोंकी जमात और इस जमात से चिढ़ कर मोदी या योगी के हर काम को सही कहने वालों की अंताक्षरी इस वक्त सोशल मीडिया पर शुरू हो गई होगी। इसमें किसी को जाने की जरूरत नहीं है। लेकिन एक के बाद एक ऐसे फैसले दिख रहे है जिसमें लग रहा है कि नौकरशाहों से रूह कांप रही है योगी की। जिस तरह का भाषण चलता है उस तरह का चाबुक नहीं। चोर और देश के गद्दार नौकरशाहों को नौकरी से बाहर करने में कौन रोकता है। इस तरह का प्रचंड बहुतम मिला है जकि बदलाव के तुष्टिकरण और लूट को राजनीति का औजार बनाने वालों की जरूरत ही नहीं है। लेकिन जब भी देखों फलां ने ऐसा कर दिया था फ्लां ने वैसा कर दिया था तब आप बताओं कि तुमको क्या तिलक लगाने के लिये चुना है भाई। दरअसल विकास् एक ऐसा शब्द मिल गया है इस सरकार और और दूसरी सरकारों को कि हर भाषण में हर दूसरा शब्द विकास ही होता है। अरे भाई तुम जैसे अनपढ़ों को विकास के लिए नहीं चुना है गुंडई और बौने से कबीलाई जातिवादि नेताओं के हमप्याला और हम निवाला बन चुके नौकरशाहों को सबक सिखाने के लिए चुना था। लेकिन लगता है इस बार भी जनतंत्र ने जिस को जन्मा है वो भी पहले से जन्में कपूतों की श्रृंखला में एक नया नाम दिख रहा है।

1 comment:

Anonymous said...

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