Monday, March 26, 2018

28 अगस्त की तारीख गुरमीत राम रहीम सिंह को ये याद दिला देंगी कि भगवान की लाठी बेआवाज होती है।

एपिसोड़- 1
28 अगस्त 1999 की रात। एक शैतान को भगवान मानने वाली एक मासूम लड़की को शैतान ने अपनी हवस का शिकार बना लिया। आत्मा को छलनी करने वाली इस घठना ने उस लड़की के विश्वास को ही तोड़ कर रख दिया। राम रहीम एक गुरू नहीं शैतान निकलान। उस लड़की की जिंदगी में वो रात ऐसी अमावस की रात बन कर छा गई जिसकी कोई सुबह नहीं हो रही थी।
28 अगस्त की तारीख अब फिर लौट आई है लेकिन इस बार अमावस की रात अपराधी गुरमीत के लिए है। और उस लड़की जिंदगी में इंसाफ की रोशनी आई है। लेकिन इस के बीच 18 साल का एक संघर्ष भी ह।
मैं इस कहानी में 2004 से हू्ं और इसके ज्यादातर पात्रों से मिल चुका था। जांच एजेंसी से लेकर पीड़ितों तक सभी से मुलाका हुई थी। सालो बाद फिर से इस खबर में लौटा तो जैसे सब कुछ याद आया। लेकिन ये कहानी बहुत लंबी है। लेकिन इऩ सब पर बात 28 अगस्त के बाद। यानि उस तारीख से आगे जिस तरीख में गुनाह हुआ है उसी को सजा का फैसला भी उसी तारीख को लिखा जाता है। ये ऊपरवाले का इंसाफ है।
अपराध को अदा में बदल देने का चमत्कार करने वाला गुरू माना जाएंगा राम रहीम सिंह को।

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