Monday, March 26, 2018

चल खुसरो घर आपने सांझ भई परदेश।

 
खुद से खुद तक की यात्रा। पानी के समंदर से रेत के समंदर तक के इस सफर में बारिश से ऐसा रिश्त बना कि छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था फिर इस सुनहरी रेत पर आकर लगा कि यहाँ से बेहतर कोई और मोड़ हो ही सकता, इस सफर को छोड़ने के लिये। केरल से शुरू हुए सफर से अब विदा लेता हूँ।

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