गांधी जी की यात्रा एक मानव के महामानव बनने की यात्रा है। ( आप उनसे सहमत या असहमत हो सकते है)गांधी जी के एक प्रयोग दांडी की यात्रा से शुरू करता हुआ अब गांधी जी के बचपन के शहर में चल आया। राजकोट का अल्फ्रेड हाई स्कूल महात्मा गांधी जी का स्कूल था। अब वहाँ एक म्यूज़ियम बन रहा है। 30 करोड़ से बन रहा म्यूजियम दुनिया भर से आने वाले लोगो को गांधी जी की यात्रा की कहानी सुनायगा।
लेकिन यह कैसे बतायेगा की कभी काठियावाड़ का बेहतरीन स्कूल में शुमार होने वाले इस स्कूल में अब सिर्फ 152 स्टूडेंट्स ही राह गये थे।कभी इस स्कूल में 3500 छात्र भी पढ़ते थे और एडमिशन एक बड़ी बात थी। लेकिन सरकारी शिक्षा की बदहाली का यह जीत जागता स्मारक बन गया था। यह देश का एक मानक स्कूल बनता इस तरह का कोईभी काम सरकारों ने करने की कोशिश भी नहीं कि।।
लेकिन गांधी यात्रा के आश्चर्य सिर्फ यहीं खत्म नहीं हुए। काबा गांधी नु डेलो यानी काबा गांधी का घर। महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी का बनाया हुआ घर अब म्यूज़ियम है लेकिन आप को यह बात आश्चर्य में डाल सकती है कि वहाँ तक एक भी रोड का नाम महात्मा के साथ रिश्ता नहीं रखता है। भीड़भरे इलाके की मुख्य सड़क धर्मेंद्र रोड है और लेन का नाम नोकड़िया लेन है। यह घर की कहानी का एक अनजान हिस्सा भी है 1920 में जब गांधी परिवार की कुछ आर्थिक दिक्कतें थीं तब यह घर बेच दिया गया था। आजिज़ी के बाद विट्टलभाई ढेबर ने 1948 में इसको खरीद कर एक म्यूज़ियम में बनने को दिया था। 1881 में यह घर बना था और इसी साल कस्तूरबा जी के साथ महात्मा गांधी जी की शादी हुई। और ब यह रहने आई थी। आज भी घर में वहीं खिड़की दरवाजे है जो काबा ने लगवाए थे। बस गांधी का कमरा अब नही है मकान 2001 में भूकंप में क्षतिग्रस्त हुआ था।। वहां कार्यरत जोली भाई ने बताया कि साल भर में 10000 लोग गांधी का घर देखने आते है। पतानहीं जोली भाई इससंख्या को बड़ा मान रहे थे कि छोटा।
लेकिन यह कैसे बतायेगा की कभी काठियावाड़ का बेहतरीन स्कूल में शुमार होने वाले इस स्कूल में अब सिर्फ 152 स्टूडेंट्स ही राह गये थे।कभी इस स्कूल में 3500 छात्र भी पढ़ते थे और एडमिशन एक बड़ी बात थी। लेकिन सरकारी शिक्षा की बदहाली का यह जीत जागता स्मारक बन गया था। यह देश का एक मानक स्कूल बनता इस तरह का कोईभी काम सरकारों ने करने की कोशिश भी नहीं कि।।
लेकिन गांधी यात्रा के आश्चर्य सिर्फ यहीं खत्म नहीं हुए। काबा गांधी नु डेलो यानी काबा गांधी का घर। महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी का बनाया हुआ घर अब म्यूज़ियम है लेकिन आप को यह बात आश्चर्य में डाल सकती है कि वहाँ तक एक भी रोड का नाम महात्मा के साथ रिश्ता नहीं रखता है। भीड़भरे इलाके की मुख्य सड़क धर्मेंद्र रोड है और लेन का नाम नोकड़िया लेन है। यह घर की कहानी का एक अनजान हिस्सा भी है 1920 में जब गांधी परिवार की कुछ आर्थिक दिक्कतें थीं तब यह घर बेच दिया गया था। आजिज़ी के बाद विट्टलभाई ढेबर ने 1948 में इसको खरीद कर एक म्यूज़ियम में बनने को दिया था। 1881 में यह घर बना था और इसी साल कस्तूरबा जी के साथ महात्मा गांधी जी की शादी हुई। और ब यह रहने आई थी। आज भी घर में वहीं खिड़की दरवाजे है जो काबा ने लगवाए थे। बस गांधी का कमरा अब नही है मकान 2001 में भूकंप में क्षतिग्रस्त हुआ था।। वहां कार्यरत जोली भाई ने बताया कि साल भर में 10000 लोग गांधी का घर देखने आते है। पतानहीं जोली भाई इससंख्या को बड़ा मान रहे थे कि छोटा।
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