Monday, March 26, 2018

अब गुरमीत राम रहीम की खबरें नहीं यौंन कुंठाएं बेची जा रही है। मुंबई की बारिश से ज्यादा अभी काम क्रीड़ाओं की कहानियां तैर रही है। अब रह रह कर डरना चाहिए कि जनतांत्रिक व्यवस्थाओं में क्या-क्या सड़ रहा है और उसके लिए किस तरह की आड़ ली जा रही है।

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