यह लेनिन तो नहीं है लेकिन त्रिपुरा का बेटा है जिसका नाम से त्रिपुरा को बाहर भी जाना गया। त्रिपुरा की सड़क पर इनका नाम कहीं कही दिखता है लेकिन आदमकद बुत कहीं नहीं दिखा। यहां तक कि 25 साल के शासन काल में पूरे त्रिपुरा को बदलने पर काम कर रहे वामपंथ ने देश को त्रिपुरा से मिटाने की पूरी कोशिश की और जिसके बेटों को पोस्टर और सड़कों से हटा दिया। यह सूखा पेड़ आम का है। रविन्द्र भवन में अपनी बदहाली पर अपनी ही ज़मीन पर अपने ही पेड़ के तले बस अपने लोगो को की बाट जोहता हुआ अपना बेटा। वाह लेनिन को बाप बताने वालों
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