Monday, March 26, 2018

तस्लीमा नसरीन औरंगाबाद नहीं रुक पाई।


जिहादियों की तलाश करने की ज़रूरत नहीं होती वो आस पास मौजूद होते है। कि बार सोचता हूं कि दिखावे की देशभक्ति से कड़वी हक़ीक़त बेहतर दवा होती है।
औरंगाबाद था मध्युगीन जिहादी बादशाहों की विनाश लीला वह हर तरफ बिखरी है। जिस चीज को लेकर आत्म चिंतन होना चाहिये वो गर्व है जिहादियों के लिये।
फेस बुक पर रोज़ अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिये रोने वालो को देखता हूं और यह भी उस पर कॉमेंट्स क्या क्या और करने वाले कौन कौन है। यह सवाल काफी बड़ा हो जाता है जब यह आज़ादी हत्यारों को शहीद बना कर इस देश को मरघट बनाने वालों के लिये रोटी है
तस्लीमा ने इस देश के मुसलमानों को अभिकुच कहा या लिखा नही लेकिन हैदराबाद से लेकर औरंगाबाद तक जिहाद जारी है।
हो सकता है मेरे विचार कुछ लोगो को अजीब लगे लेकिन यह हैरानी मुझे उनपर भी ऐसे ही होती है जब वो जंतर मंतर पर आईएसआईएस टाइप प्रवक्ताओं की तरह बोलते है।
खैर यह चलन अभी बढ़ेंगे।
No protest by Activists who are otherwise at forefront. No award Waapsi. CM Maharashtra. Police who cannot guarantee safety of individual ought to be given bangles. Home Minister of Maharashtra should be sacked.

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