Monday, March 26, 2018

हनीप्रीत चाईना नहीं चांदनी चौंक में है बौंनों। सेक्स की कहानियां परोसते बौंनों के लिए राईट टू प्राईवेसी की कीमत खबर से ज्यादा कुछ नहीं थी।


हनीप्रीत और बाबा का वंश प्लॉन या फिर ऐसे ही बहुत से खुलासे। एक के बाद एक खुलासे। चांदनी चौंक टू चाईना फिल्म थी लेकिन हनीप्रीत के मामले में बौंनों के कुत्सित दिमाग की कल्पनाएं चांदनी चौंक तो नहीं पहुंची थी लेकिन चाईना तक चली गई थी। कभीो वो किसी रास्ते से नेपाल भागती थी तो कभी वो नेपाल से चाईना निकल जाती थी। कभी वो पाकिस्तान निकल जाती थी। जाने कितनी कहानियों को सूत्रों की छौंक के सहारे बौंनों ने आम आदमी के जेहन में उतार दिया। सेक्स कहानियों के भूखे लोगों की नब्ज़ पहनानने वाले बौंनों ने सत्यकथा और मनोहर कहानियां को इस तरह से परोस दिया कि फिर से इंद्राणी मुखर्जी की खबर की याद दिला दी थी। हर कोई सुनना चाहता था कि बाबा और हनीप्रीत का रिश्ता अवैध था। पहले दिन से कहानी को घुमा घूमा कर कहा जा रहा था। फिर इसके लिए उसका पति खोज लिया गया जिसने विकृत मानसिकता के लोगों के लिए इस कामक्रीडा के तमाम अध्याय खोल दिये। पहले दिन से हर स्टोरी इसी तरह से लिखी जा रही थी कि लोगों को सेक्स की एक कहानी परोसी जाएं। इस तरह से कि वो खुद ही आगे और आगे सुनने और देखने की मांग करने लगे।
खबरें थी कि रॉ से लेकर आईबी तक सब को चौकस कर दिया था हरियाणा सरकार ने। डीजीपी खुद निगरानी कर रहे थे इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की।
सुना था कि राईट टू प्राईवेसी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था और उस दिन खुशी के चलते बौंनों ने अपनी पैंट हवा में उतार कर लहरा दी थी। एक के बाद एक जगह पर जाकर बौंनों के लिए गालियां सुनता हूं। मन लरजता रहता है। कई बार उस आदमी की भी सुनता हूं जो कैमरा और कलम के बीच की दूरी भी नहीं समझता है। बस गालियां ही गालियां। लेकिन इनमें से ज्यादातर गालियों से इम्युनिटी है खबरों का एजेंडा तय करने वालों को।
लेकिन क्या चल रहा है। कौन चला रहा है इन खबरों को और कौन देख रहा है। कैसे चल रही है कैसे लिखी जा रही है। इस पर कौन विचार करेंगा। हम लोगों बौंनों की उस भीड़ का हिस्सा है जिसको एक दिन मांस का भरोसा है अगले दिन की सिर्फ उम्मीद। तो आज नाचना है नहीं तो कल फिर से कतार में खड़े हो जाना है, उस कतार में जिसके हाथ में सिर्फ कटोरा है। इसीलिए हम लोग मजबूर है। शिकार के लिए हांका लगाने में इस्तेमाल किये गए कुत्तों की तरह से इशारे पर भौेकते और नौंचते हुए।
हनीप्रीत कानूनी तौर पर एक केस में फरार है। पहली बार एक केस दर्ज हुआ है। केस में भी प्ल़ॉनिग में है। इससे पहले किसी केस में शायद वांटेड नहीं है। ऐसे एक हजार एक सो पचहत्तर केस हर राज्य में दर्ज होते है। हर थाने में ऐसे सैंकड़ों लोग पहुचते है जो रेप, हत्या अपरहण मामलों में पहुंचते है लेकिन शायद ही किसी को उनकी खबर करने की कोशिश होती हो। यहां तो कहानी में सेक्स है बाबा है पैसा है नेता और सबकुछ है इससे पता चलता है कि तरक्की के मायने क्या है। क्या हो सकता है नीचे गिरने की सीमाएं तय करने में ।
नोट- कोई तारीफ न करे प्लीज। मैं बौंनों की उस भीड़ में शामिल हूं जो माईक हाथ में लेकर हनीप्रीत को इंटरव्यू के लिए खोज रही है। इसके लिये अपना खून बहाने को तैयार हूं।

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