रास्ता अपनी खूबसूरती के साथ आपका इंतजार करता है। और आपकी आंखें सम्मोहन में आ जाती है। मैं मानता हूं हर रास्ते पर इंसान दो बार जरूर चलता है एक बार तो आप खुद और एक बार आपकी यादें उस रास्ते से गुजरती है। कई बार रास्ते भी आपके पैरों से चिपक आपके साथ आगे तक चलते है तब तक जब और कोई खूबसूरत रास्ता आपकी आंखों में न आ जाये
कुछ तो होगा / कुछ तो होगा / अगर मैं बोलूँगा / न टूटे / तिलस्म सत्ता का / मेरे अदंर / एक कायर टूटेगा / टूट मेरे मन / अब अच्छी तरह से टूट / झूठ मूठ मत अब रूठ।...... रघुबीर सहाय। लिखने से जी चुराता रहा हूं। सोचता रहा कि एक ऐसे शहर में रोजगार की तलाश में आया हूं, जहां किसी को किसी से मतलब नहीं, किसी को किसी की दरकार नहीं। लेकिन रघुबीर सहाय जी के ये पंक्तियां पढ़ी तो लगा कि अपने लिये ही सही लेकिन लिखना जरूरी है।
Monday, March 26, 2018
रास्ते पैरों से चिपक जाते हैं।
रास्ता अपनी खूबसूरती के साथ आपका इंतजार करता है। और आपकी आंखें सम्मोहन में आ जाती है। मैं मानता हूं हर रास्ते पर इंसान दो बार जरूर चलता है एक बार तो आप खुद और एक बार आपकी यादें उस रास्ते से गुजरती है। कई बार रास्ते भी आपके पैरों से चिपक आपके साथ आगे तक चलते है तब तक जब और कोई खूबसूरत रास्ता आपकी आंखों में न आ जाये
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