सच के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं होता। लेकिन बौंनों ने जो देखा क्या वो ही सच है। पंचकूला में जो दिख रहा है वो सब सच के ऊपर की कहानी है। बौंनों को सच से ज्यादा शिकार की तलाश है। हाईकोर्ट के आम आदमी के लिए सदिच्छा से दिए गए आदेश को सरकार ने हत्या के लाईंसेंस में बदल दिया था क्या।
कुछ तो होगा / कुछ तो होगा / अगर मैं बोलूँगा / न टूटे / तिलस्म सत्ता का / मेरे अदंर / एक कायर टूटेगा / टूट मेरे मन / अब अच्छी तरह से टूट / झूठ मूठ मत अब रूठ।...... रघुबीर सहाय। लिखने से जी चुराता रहा हूं। सोचता रहा कि एक ऐसे शहर में रोजगार की तलाश में आया हूं, जहां किसी को किसी से मतलब नहीं, किसी को किसी की दरकार नहीं। लेकिन रघुबीर सहाय जी के ये पंक्तियां पढ़ी तो लगा कि अपने लिये ही सही लेकिन लिखना जरूरी है।
Monday, March 26, 2018
गुरमीत ने 38 बेगुनाह की बलि दी। सरकार और भ्रष्ट्र नौकरशाही का खेल- 2
सच के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं होता। लेकिन बौंनों ने जो देखा क्या वो ही सच है। पंचकूला में जो दिख रहा है वो सब सच के ऊपर की कहानी है। बौंनों को सच से ज्यादा शिकार की तलाश है। हाईकोर्ट के आम आदमी के लिए सदिच्छा से दिए गए आदेश को सरकार ने हत्या के लाईंसेंस में बदल दिया था क्या।
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