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यात्रा में पोरबंदर में हूं। गांधीजी का घर और घर के सामने गांधी जी की मूर्ति। धूल से अटी हुई। दुख अब इस बात पर नहीं कि धूल थी मूर्ति पर बल्कि दुख इस पर हुआ कि दोनों पार्टी के लोग कह रहे थे कि सफाई तो होनी चाहिये लेकिन कोई गांधीवादी ही रोज़ सफाई कर सकता है।वोइसबात से संतुष्ट थे कि हफ्ते चार दिन में एक बार साफ होती है। में कभी अपनी किसी खबर को देखने के लिये नहीं कहता बस ये क्लिप शेयर शेयर कर रहा हुं।
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