Sunday, March 8, 2015

झूठ बोलती है नौकरानियां

सीढ़ियां चढ़ती हांफती है नौकरानियां
बहाना कर रही है काम से बचने का
अक्सर पल्लूं से आंखों से आये आसूं पोंछनें लगती है
खुरदरे हाथों में काली पड़ चुकी लकींरों में
कोई भी लकीर नहीं सीधी
वक्त उसके हाथो से फिसला कभी या नहीं
कुछ कह नहीं सकती है सही से वो
वक्त उसके लिये सुबह पांच बजे घर की चारदीवारी
और देर रात उसी चारदीवारी तक पहुंचने के बीच सुईंयों की टकटक है
पौंचा लगाना हो या फिर बर्तन साफ करना 
हर काम में लगता है कि सही से नहीं करती है
कामचोरी का आदतों से परेशान है मालकिनें
काम करती है  बेटियां
क्या जरूरत है उसकी बेटियों को फोन की
फोन पर लंबीं बातें कयों करती है
मालकिनों की बेड़रूम तक गूंजती है आवाज
मालिकनें परेशान है
इस कार में एवरेज कम है
बॉस इसका इंटीरियर क्लास है
गोवा के होटल्स में काफी भीड़ है
महंगा पड रहा है है यार
हिल स्टेशन पर अब छुट्टियां बिताना
झूठ बोलती है नौकरानियां
कल गैंग की शिकार लड़की की मां
बोल रही थी किसी से
गर्म रोटी की खुशबू ने खींच लिया था
उसकी बेटी को एक मकान में
लेकिन मकान में बैठे दरिंदों ने रोटी नहीं घाव दिये
मालिकनों को मालूम है बिना किसी के बताएं
खुद भेज दिया होगा पैसे के लिए लड़की को
बदतमीज है नौकरानियों के बच्चें
सोफे पर बैठ जाते है सीधे आकर
गंदें हो जाएँगे तो धोने का पैसा ले लेगी नौकरानियां
डॉटों तो मुंह चढ़ जाते है नौकरानियों के
कई बार देर तलक नहीं आती है काम वालियां
क्यों
तो कहती है बेटी को स्कूल से आने मे देर हो गई
मक्कारियों को किस कदर छुपा लेती है नौकरानियां
बच्चों के लात मारने से कौन सा चोट लगती है
झूठ-मूठ  बहाने बनाने लगती है नौकरानियां
एक दूसरे की बॉलकोनियों में
बतलाती है मालिकिनें
हे भगवान

कितना झूठ बोलती है नौकरानियां

No comments: