Monday, March 30, 2015

हम शक्ति पूजते है .............................

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हाथ में पन्नी 
पन्नी में पूरियां
कुछ सब्जियां 
कटे हुए फल
टूटे हुए नारियल के टुकडे
कुछ चुनरियां
मुठ्ठी में दबे हुए 
कुछ पांच तो कुछ दस के नोट
थेगली जड़े फ्राक में 
चप्पल बस लटकी हुई है
बालों में तेल डाला हुआ 
और चेहरे पर जितनी खुशी हो सकती है 
वो सारी एक साथ थी
सुबह से इस घर से उस घर 
दौड़ती है बच्चियां
कामवालियों की बच्चियां 
पास की गलियों में रहने वाली बच्चियां
इस्त्री करने वालों की बच्चियां 
ठेले वालों की बच्चियां
एक दिन डिमांड में रहती है
बालकॉनियों से आवाज लगती है उन्हें
रोक कर बुला लेती है मालकिनें
निशान से भड़कती है फर्श पर पैरों के 
आज के दिन उन्हीं पैरों को छूती है मालकिने 
एक दिन देवियों में बदल जाती है
सड़कों पर रोटियों बटोरती बेटियां
जल्दी जाना 
पहले हमारे घर आना है
इस सब में हंसती है 
रोज रोती हुई बेटिया
खाने की इंतजार में बैठे
मांगते है पैर छूकर आशीर्वाद 
एक दिन की भागदौड़ में 
होड है ज्यादा से ज्यादा घरों में जाने की
कैसे भी ज्यादा से ज्यादा खाने की
पैसा बनाने की
एक दिन उनका है 
वो एक दूसरे से 
कितना पैसा हुआ पूछती है 
और एक दिन हम शक्ति पूजते है

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