Thursday, April 2, 2015

हम गुलाम बनाते है। .................................

फुटबॉल के कोच से शिकायत की
स्टेमिना कब बढ़ेगा नब्बे मिनट 
लगातार मैदान पर घोड़े की तरह दौडने का
लॉन टेनिस के कोच से भी मिला
रैकेट्स विदेशी चाहिए 
खरीद दूंगा अगले हफ्तें से 
जूते ठीक है 
नडाल जो पहनता है 
उसी कंपनी के है
म्यूजिक में ठीक है 
लेकिन टीचर से मिला
कुछ नए नोट्स पर बात की
साईंस एक दम परफेक्ट है
मैथ्स में ध्यान कम देता है
लेकिन कुछ एक्सट्रा क्लॉस देनी है
पेंटिंग्स में स्केच सही बनाता है
कलर कांबिनेशन में अभी 
थोड़ा थोड़ा दबा हुआ है
सोशल साईंस में ए मिला है
विदेशी भाषा में तेज है
संवाद कर लेता है आसानी से 
ज्यॉग्राफी में दम है
बरमूड़ा खोज लेता है तेजी से
जिबूती, स्पेन, चिले 
सबको सही से पहचानता है
लिटरेटर में तो मास्टरपीस पढ़ चुका है
जानता है अमेरिका का इतिहास 
जर्मनी की हार भी मालूम है
इसी तरह से मिलते है 
शहर में पढ़ रहे खूबसूरत बच्चों के 
जहीन माता-पिता
बच्चों के टीचर्स से
शहर में सजे स्कूलों में 
शान से चमकते है शब्द
हम स्पार्टन पैदा करते है
शास्त्र से शस्त्र
और शस्त्रों में संगीत
सब सीखतें है बच्चें
थक कर घर जाते है ये बच्चें
कार से बैग निकालते है कुछ और बच्चें
जूतों के फीतें खोलते 
उनको करीने से रैक में लगाते है 
कुछ और बच्चें
स्पार्टन को पानी पिलाते है कुछ और बच्चें
पसीने से भींगें हुए कपड़ों को धोने जाते है कुछ और बच्चें
दूध बनाते है, किताबें आलमारियों में सजाते है कुछ और बच्चें
कहां से आते है ये कुछ और बच्चें 
कौन है वो जो गुलाम बनाते है 
शहर से निकलों 
गांव के स्कूलों में 
मास्टरों के दर्शन को तरस जाते है बच्चें
मास्टर है तो किताबों को खोज नहीं पाते है बच्चें
प्रधानमंत्री और राज्य का मुख्यमंत्री कौन है 
इस सब में उलझ जाते है बच्चें
रात कैसे होती है 
दिन क्यों निकलता है 
बूझों तो जाने हो जाते है बच्चें
स्कूलों के बाहर कोई नहीं पूछता
वो क्या बनाते है
लेकिन जानते वो सब है
हम गुलाम बनाते है
शहरों तक पहुंचते-पहुंचें 
गुलाम बन जाते है ये बच्चें
हम स्पार्टन बनाते है 
और 
हम गुलाम बनाते है

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