आशीष खेतान ने खोजी पत्रकारिता की आड़ में एक लेख लिख कर तहलका को तीन करोड़ रूपए दिलवाए- लेख में बिजनेसमैन ग्रुप को फायदा मिला। कुछ ऐसा ही आरोप लगाया महान पीआईएल एक्टिविस्ट् और कल तक आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण ने। अपन जानते थे कि खेतान साहब 24 घंटे से ज्यादा इंतजार नहीं करेगे और शानदार और फिट रिप्लाई करेंगे। निराश नहीं किया खेतान साहब ने। उनकी फैक्ट्री से निकला एक फड़फड़ाता हुआ आरोप और उन्होंने अपने तौर पर सोचा कि तू क्या है प्रशांत भूषण मैं तो तेरे बाप को भी इसमें लपेट लेता हूं। और उन्होंने प्रशांत भूषण के उस ही गुण पर हमला किया जिसे प्रशांत भूषण की थाती कहा जाता था। यानि पीआईएल फैक्ट्री कहा। लेकिन खेतान साहब की मशीन पाप-पुण्य का अंतर जरा महीन तौर पर साफ करती है लिहाजा और महीन चीज सामने आई। दिल्ली, हिमाचल, इलाहाबाद. रूड़की या और भी कई संपत्तियों का जखीरा बताना शुरू कर दिया। अपनी ईमानदारी के कपड़े तो सबसे सफेद वाली ललिता जी के सर्टिफिकेट के साथ लहराएं( आशुतोष जी इस वक्त ललिता बहन की तरह सबकी कमीज उजली है और किसकी खराब है तय कर रहे है) आशीष खेतान साहब ने जब आप को ज्वॉईन किया था तो तब तक वो ये मान चुके थे कि पत्रकारिता का आकाश अब उनके लिए छोटा हो चुका है। महान नायक जिनकी मैंगजीन ने उन्हें ताकत, नाम और पैसा दिया ( भूषण साहब के आरोपो से अलग ) अपनी ही एक गलती ( लेकिन उन्हें ये गलती नहीं लगती) जेल की हवा खा चुके है। और जिस मैंगजीन में लिखने के बाद एक ग्रुप से करोड़ों की रकम का आरोप लगाया है भूषण साहब ने। उन्हीं भूषण साहब के साथ काफी गलबहियां थी पार्टी ज्वॉईन करने के वक्त से खेतान साहब की ( अपन आशुतोष जी जैसे शब्द इस्तेमाल नहीं कर सकते कि प्यार ने किसी और को चुन लिया तो नाराज है- आशुतोष जी मेरे सीनियर रहे है) । लेकिन अब बात बिगड़ गई। खेतान साहब अपनी इंटीग्रिटी पर एक धब्बा भी बर्दाश्त नहीं कर सकते। (आलविन है आवाज नहीं करता) और इसीलिए आरोप का जवाब देने से ज्यादा सवाल खड़े कर गए । आम आदमी अभी याद रखे हुए है कि पार्टी में योगेन्द्र और प्रशांत के अरविंद की नजरों से उतरते ही सबसे पहला हमला खेतान साहब ने ही किया था भूषण परिवार ने एक परिवार की हुकुमत के खिलाफ ऐलान ए जंग किया था। फिर जैसे ही लगा कि समझौता हो सकता है तो फिर माफी मांग ली अपनी ही गलती बताते हुए। और जैसे ही पार्टी से बाहर हुए तो फिर उनकी औंकात बतानी शुरू कर दी। खेतान साहब को लगने लगा कि अरे भूषण परिवार जितना खतरनाक, और लुटेरा कोई परिवार नहीं मिला। इतनी संपत्ति कहां से बनाई। कोई ये पूछ नहीं सकता कि भाई अभी लड़ाई से कुछ दिन पहते तक जब प्रशांत भूषण या फिर शांति भूषण से मिलते थे तो कही किसी नुक्कड़ की चाय की दुकान पर, गुप्ता की कैंटीन पर या फिर किसी झुग्गी में बैठ कर मिलते थे कि पता ही नहीं चला कि कहां मिल रहे है और जिससे मिल रहे है उसकी माली हैसियत कितनी है। खैर आशीष साहब की आदत के मुताबिक एक स्टिंग का इंतजार करना चाहिए जल्दी ही आने वाला होगा। क्योंकि एक पत्रकार से मिल कर उसका ही स्टिंग कर लिया था। पत्रकार बंधु और ये दोनों ने साथ काम किया था काफी दिन और फिर स्टिंग के बाद भी दोनो दोस्त रहे। ( ऐसा मेरी जिंदगी में कोई दूसरा उदाहरण नहीं है कि जिसका स्टिंग हुआ हो वो करने वाले का दोस्त बना रहे) ऐसा चमत्कार किसी न किसी अनजाने रास्ते का राही होने का इशारा तो करता है। खैर बात अब ये है कि आशीष खेतान अब नहीं छोड़ेगे तो देखते है कहां कहा नहीं छोड़गें। खैर ये बात तो है लेकिन एक बात जो आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को साल रही होगी वो ये कि आम आदमी पार्टी की वाशिंग मशीन अब एक दूसरे के कपड़े ही धोने लगी है। आपको याद है ना आम आदमी पार्टी की शुरूआत कुछ तो मैं बता देता हूं......फलां नेता चोर है। फलां नेता महाचोर है। लिस्ट जारी होगी। इस लिस्ट में फला़ं- फलां नेताओं के नाम है। कई बार कवर किया और जितनी बार हुआ उतनी बार सुना। आम आदमी पार्टी देश की राजनीति में ड्राईक्लीनर्स बन चुकी थी। जिसको देखों उस पार्टी के पाप के कपड़े सरे राह धोए जा रहे थे। व्हर्लपुल, एलजी, सीमेंस या ऐसी बहुत सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां कपड़े धोने के लिए जितनी टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करती है वो सब पुरानी पड़ गई।
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