Thursday, April 9, 2015

पूूर्व जनरल पहले ही जोकर बन चुका है।

वी के सिंह कई बार अपने बौंने कद को दिखा चुके है। लोगों को अभी मीडिया को क्या कहा इस पर चर्चा हो रही है लेकिन एक खबर लोगों की निगाह से चूक गई है जो अभी आई है कि जरनल वी के सिंह को वो सीडी नहीं मिल रही है जिसके आधार पर उन्होंने दावा किया था कि उनको रिश्वत देने की पेशकश की थी। तेजिन्दर सिंह के खिलाफ चल रहे मामले में कोर्ट में ये सीडी जमा करनी थी। बेचारे जरनल की यारदाश्त जवाब दे गई। अभी कुछ दिन पहले जरनल बेचारें को जाना पड़ा पाकिस्तानी दूतावास के एक फंक्शन में, वही जहां कश्मीर के अलगाववादी दावतें उ़ड़ा रहे थे। हरी जैकेट पहन कर पहुंचे जरनल ने नकल तो करने की कोशिश की प्रधान सेवक की। लेकिन जब उसको लगा कि मीडिया में रंग जमा नहीं तो जाने कैसे कैसे ट्वीट करने शुरू कर दिये। किसी को ड़्यूटी बताया किसी में डिस्गटिंग, मीडिया ने उठाया तो उसी को धो दिया। उस वक्त भी जनरल साहब के भक्त एक बड़े वर्ग ने मीडिया पर ही भड़ास उतारी। और उनके वर्ग ने इस आदमी को एक बडा़ सिद्दांतिक और भी जाने क्या क्या बनाने की कोशिश की। लेकिन पता चल गया था कि ये आदमी पाजामें में बांस छिपा रहा है जिनपर खड़ा होकर अपनी लंबाई बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। और फिर यमन में एक गृहयुद्ध शुरू हो गया। भारतीयों को लाने के लिए युद्धपोत का सहारा लेिया गया। मैंने देखा कि जरनल जहाज में आ रहे परेशानहाल हिंदुस्तानियों के बीच में ख़ड़ा होकर फोटो खिंचवा रहा था और उसके चमचों की मीडिया में खड़ी एक फौंज कह रही थी जरनल इज जनरल और देशप्रेमी जनरल, जंग में फौंजी, हे भगवान कई बार फोटो छपवाएं कुछ पेपरों में। पर देश के मीडिया ने जनरल को उतनी फूटेज नहीं दी जितनी जनरल को चाहिए थी, ऐसे में जरनल साहब भड़क गए। गाली-गलौज पर उतर आएं। पूरे मीडिया को खास शब्द से नवाजने लगे। लेकिन बेचारे भूल गए कि इस शब्द का इस्तेमाल उस मीडिया के लिए किया जाता है जो सरकार की चमचागिरी करता है लेकिन जरनल साहब ने बेचारे उस मीडिया पर नजला उतार दिया जो उनकी फोटो नहीं छाप रहा है। मुझे याद है कि मीडिया में एक वर्ग उनके जनरल रहते वक्त काफी गुण गाया करता था। इसमें जाति भी एक बड़ा रोल प्ले किया करती थी। और दूसरी हिंदुस्तानियों का फौंजियों के प्रति रूमानी भाव। बेचारा जरनल। सुप्रीम कोर्ट में बुरी तरह घिरा, घूम गया। उससे पहले कई बार अपनी उम्र को वही मानता रहा लेकिन जब नौकरी में एक्सटेंशन का मौका मिला तो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। चुनवा लड़ने पहुंचा गाजियाबाद सिर्फ इस लिए कि जात भाई अपने वोटो से जीता दे। आज बहुत से भक्तगणों को देखा जो मीडिया के लिए गालियां निकाल रहे है, तो उनकी आवाज सर माथें पर क्योंकि मीडिया को वाकई सुधार की जरूरत है और जो इस धंधें में सरकार के जूतें सर पर रख कर चल रहे है उनके लिए जनरल के इस शब्द की सच्चाई सही हो।

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