Friday, April 10, 2015

उनको महान और अपने को गुमनाम बनाया .......

बेहद जहीन दिमाग थे
जिन्होंने पिरामिड सोचे
बेहद नफीस समझ थी उनकी
जिन्होंने खूबसूरत मकबरें बनवाएं
कितने बड़ी सोच के थे
वो लोग जिन्होंने  आसमान से दिखने वाली वो दीवार सोची
रात-दिन ख्बाव बुनते होंगे
जिन्होंने कुतुबमीनार सोची
कितनी रातें जाग-जाग कर काटी होंगी
तब जाकर सपनों में आईं होंगी बेबीलोनिया के हैंगिग गार्डन की रूपरेखा
कितना प्यार भरा होगा उस दिल में
जिसने ताजमहल बनाया
बड़े बड़े मंदिरों को रचने वाले
दिल बडी श्रद्दाओं से भरे होंगे
बड़े बड़े शहरों को बसाया जिन्होंने
दिमाग से चलते रहे होंगे रात दिन
तलवार में लौहा नहीं
मौत बसती होंगी
बाहों में ताकत
और जिस्म पत्थर
जिन्होंने नींव रखीं
महान राज्यों की
धूल में मिला दिए
बसे-बसाएं नगर
महान राजा, महान फराओं
महान बादशाह, महान सम्राट
इतने महान लोग
बिखरे पड़े है इतिहास में
और जब इतिहासकार खोज नहीं पाएं
ऐसे  लोग जिनके माथे पर रखे जा सके
महानता के मुकुट और जय की कहानियां
तब उन लोगों को याद आया सभ्यता
जिन के बादशाह नहीं थे
जिन्होंने राजाओं को नहीं जनमा
जिनको सही से बना नहीं पाएं
इतिहास की विरूदावली गाने वाले
उन लोगों ने मढ़ दिया सभ्यता का नाम
लेकिन इतिहास के इस गणित में
सवाल हमेशा ही खड़ा रहा
हम कौन है
और छुपा दिया उसका जवाब
जानबूझकर साजिशन
ताकि अनजान रहे  हम खुद के बारे में
और पूजते रहे महान और महानताओं को
लेकिन झुके सरों में कभी तो जाग ही जानी थी अपनी पहचान
और फिर जेठिया दोपहर में पत्थर तोड़ता मजदूर बोलता है
हम वो है जिन्होंने उनकी महानता बनाएं रखी
हम वो जिसने ईंट गारे और पत्थर ढो़ने के लिए
हजारों लाखों बच्चें जने उनको भूख के साथ दफनाया
हम वो है जिन्होंने उनके घोड़ों की रास पकड़ी
हम वो है जिन्होंने उनके बिस्तर सजाएं
हम वो है जिन्होंने उनके लिए खाना बनाया
हम वो है जिन्होंने उनके लिए अन्न उपजाया
हम है जिन्होंने उनको महान और अपने को गुमनाम बनाया

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