Monday, April 13, 2015

लौटने का ख्याल ही नहीं किया

अच्छा हुआ तुमने लौटने का ख्याल ही नहीं किया
गांव से मिट गया तुम्हारी यादों का आखिरी शजर भी
कुछ रास्तों को पांव में बांध कर ले गये थे
निशान खोजते खोजते खो गई मां की नजर भी
घर से लेकर निकले थे उम्मीद और बुजुर्गों की दुआ
इतंजार में बेटे की खो गया बाप की दुआ का असर भी

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