Saturday, September 26, 2015

तू आम है, वे खास है। ....................................................

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तेरा मर गया तो तू रो ले
तेरे पास आज रोटी है, तू खुश हो ले
बच गई जिंदगी तो अगले वार का इंतजार कर
नहीं दिख रहे तो खैर मना
दिखे तो ख्वाब में भी डर
सड़क पर हो तो मर
घर में हो तो मर
हवा में हो तो मर
पटरी पर हो तो मर
तू आम आदमी है
बोझ सारा तेरे कंधे पर
तेरी हर सांस पर उनका पहरा है
उनका हर दिन सुनहरा है
वो तेरी लाश पर मुस्कुराते है
फायदा दिखे तो आंसू बहाते है
तेरी जिंदगी उनका उधार है
हर दांव उनका लॉटरी तेरा खाली वार है
बाढ़ आए तो तेरा घर गिरा
सूखा पड़े तो तेरा घर मिटा
दंगा हुआ तू पिटा
बीमारी की तेरे पर मारामार हैं
वो जिंदगी का हार है
वो वक्त कीम बहार है
तू जिंदगी भर का बीमार है
तेरे बच्चे नालियों में कूदते रोटियां झपटते सियार है
साहब बहादुर के शेर नजरे बहार है
गुजर गई तो जय कर
बच गई तो और डर
तू आम है
वो खास है..........

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