Saturday, September 5, 2015

बहोत आरजू थी गलीकी तेरी सो या से लहूं में नहा कर चले।


 बचपन में गांव में कभी कभी तांगे में बैठकर जाते वक्त बेहद सजे-धजे कुछ लोग मिलते थे। आंखों में काजल, बालों में तेल और करीने से की गई कंघी। सफेद कुर्ता-पाजामा या फिर सफेद कमीज और सफेद पैंट के साथ सफेद जूते। बहुत तेज इत्र या फिर सेंट पर्फ्यूम लगाएं हुए लोग पूरा तांगा बुक करते थे। हाथों में दो तीन काफी बड़े ब्रीफकेस जो आमतौर पर काफी चमकीले और देश में मिलने वाले ब्रीफकेस से अलग दिखते थे। बचपन जिज्ञासाओं से भरा होता। अपने साथ वाले से पूछता था कि ये कौन है तो पता चलता है कि ये सऊदी से काम कर के छुट्टियों में लौटे है। गांव भर तक उनकी ही बातें। जैसा कि अमूमन हर गांव में पाया जाता है कि मुस्लिम और हिंदुओं के घर अलग-अलग मोहल्ले  होते है। तो गांव में स्टैंड से तांगा अलग गली चला जाता था। रास्ते भर अरब के उस देश की सृमद्दि की कहानियां से सपने ही सपने आंखों में जगते जाते थे जिस देश से वो यात्री लौटा होता था। सोने के नल है, पेट्रोल या डीजल किसी के पैसे नहीं देने पड़ते। कानून का राज है। कोई चोरी नहीं है। हर तरफ ऐशो-आराम ही ऐशो आराम है। लगता था कि जन्नत से सीधे चला आ रहा है मेरे गांव का फ्लाने का लौंडा। फिर स्कूल की किताबों से अलग हट कर कुछ पत्रिकाएं भी पढने के लिए मिलने लगी। ऐसी कहानियों की भरमार वाली जहां अरब देशों के शेखों की कहानियां ऐसे आती थी जैसे कुबेर उनके यहां गुलाम की हैसियत से रहता हो। ब्रूनेई के सुल्तान का सोने का महल। हजारों एकड़ के महल में सोने की टकियां सोने के पाईप्स , एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए मोटरसाईकिलों का इस्तेमाल। ऐसी कहानियों ने मुझे काफी आकर्षित किया। फिर शेखों की हैदराबाद में अमीना के साथ मुत्ताह जैसी प्रथाओं ने भ्रम तोड़ने शुरू किये। इस तरह की खबर अचानक जमीन पर आ गिरने वाली खबर थी। ऐओ आराम की दुनिया में रहने वाले लोगो का एक और चेहरा सामने आने लगा। फिर धीरे धीरे जानकारियां भी हासिल होने लगी कि हिंदुस्तानी वहां जाकर किस पोजिशन पर काम करते है। लेकिन फिर भी हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था में इन मजदूरों का योगदान और घर के लिए कमा कर लाने की हकीकत भी सामने रही। लेकिन धीरे-धीरे गांव से वहां जाने वालो की संख्या कम दिखने लगी। शहर में भी सरवट से लेकर बागोवाली तक जाने वाले रिक्शाओं में वो बड़े बडे़ ब्रीफकेस दिखने बंद हो गए। और धीरे-धीरे फ्लाने के लड़के के सऊदी जाकर पैसा कमा कर लाने की कहानियां से चौंकना बंद हो गया। और धीरे धीरे उन कहानियों में खून, खुरेंजी, और ऐय्याशियों की कहानियां आनी शुरू हो गई। अरब देशों की कहानियों से अभिभूत लोगो की बातों में वो एक ऐसी जन्नत है जहां हिंदुस्तानियों को रोटी मिलती है, इस्लाम का परचम फैलाया जाता है। अरब के दो ही चेहरे दुनिया के नक्शें पर मिलते है एक तो हिंदुस्तान के गांव और शहरों में  फैला हुआ है जिसमें हिंदुस्तान जैसे दुनिया के अलग देशों के लोगों के रोटी की तलाश में  वहां जाने  की कहानी के साथ एक गर्व होता है। मैं ऐसे कई लोगो से मिला था जो पहले तो इस्लाम के नाम पर उस धरती ऊंचाईयों की कहानी गर्व से सुनाते है और फिर अपने साथ होने वाले व्यवहार की बात बड़ी दबी जुबां से बताते  है। लेकिन इस बीच अरब से निकले आतंकवादियों की कहानियों ने दुनिया के पन्नों पर अपनी कहानी लिखनी शुरू कर दी। और जेहाद के नाम पर रूस से लड़ने की कहानी शुरू हुई। रूस के खिलाफ इस जेहाद में शैतान यानि अमेरिका से मदद लेने में कोई गुरेज नहीं हुआ इन धार्मिक योद्दाओं को। अरब से तोहफे में मिले बिन लादेन ने इस जेहाद में बड़ी भूमिका निबाही। उस वक्त के मीडिया में या फिर आम आदमी की चर्चाओं में बिन लादेन एक ऐसा अरबपति था जो उम्मा के लिए दुनिया के ऐशो-आराम को लात मारकर धर्म के लिए लड़ने पहुंचा। रूस अफगानिस्तान से निकल गया तो इस जीत को जेहाद की जीत माना गया। और बदले में अफगानिस्तान को मिला एक ऐसा देश जो शरिया के आधार पर चलता है। और तालिबान एक ऐसी जन्नत उतार कर लाए जिसमे रहने वाले लोगों ने मौत से पनाह मांगना शुरू कर दिया। ( वो लोग जो तालिबान के शरिया को समझ नहीं पा रहे थे और ये एक बड़ा वर्ग था)तालिबान या मुजाहिदीन  को अरब से मदद मिली।  लेकिन अफगानिस्तान से शरणार्थियों की एक ऐसी फौज निकली जिसने किसी भी पड़ोसी देश में पनाह लेनी शुरू की किसी भी हालत में।  खैर वहां क्या हालात है सबको मालूम है। इसके बाद वापस चलते है अरब की दुनिया में। ईराक, लीबिया, ट्यूनिशिया,  और आखिर में सीरिया। इन सब देशों में धर्म के नाम पर ऐसी तबाही मची हुई है कि ये दिखना बंद हो गया कि कहां  इंसानियत बची हुई है। और इन तमाम देशों से ही इंसानी पलायन इतिहास के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दे।  जन्नत और हूरों की तलाश में लगे हुए लड़ाके इस वक्त देश में अपने से अलग खड़े हुए लोगो को जो जुल्मों-सितम कर रहे है उसकी मिसाल तो इतिहास में भी मिलना मुश्किल हो जाएंगा। सबसे बड़ी त्रासदी है कि वो लोग इतिहास को मिटा देना चाहते है। वो इतिहास जो 570 ईस्वी से पहले का हो। ऐसी  हर चीज को वो लोग मिटा देना चाहते है जिससे उनको इतिहास की बू आती हो। और इसी विनाश का शिकार हो रहे है वहां रहने वाले मासूम और बेगुनाह लोग।  और जो भी इसके विरोध में है या विरोध में होने का शक है उसको इस वक्त मध्ययुगीन तरीकों से दर्दनाक मौत के घाट उतारा जा रहा है। नफरत का ऐसा जलजला शायद ही सभ्य दुनिया में देखा  गया हो। नाजियों के अत्याचारों को पीछे छोड़ रहा है अरब का ये संकट। लेकिन अपनी कहानी फिर वही कि वो अरब कहां है जहां के अरबपतियों के जेट अमेरिका के हवाई अड्डो पर खड़े रहते है कि शेख साहब जाने कब घूमने के लिए चल दे। वो अरब कहां जहां सोने और चांदी के नल है। वो अरब कहां है जहां दुनिया के लोगो को रोजगार दिया जाता है।  बात किसी एक धर्म की नहीं हो सकती है लेकिन इस वक्त अरब मे जो संकट दिख रहा है उसमें किसी दूसरे धर्म का कोई स्टेक नहीं है। वहां सिर्फ इस्लाम के अऩुयायी है। और उन्हीं अनुयायियों में  से कुछ को उनके विश्वास के आधार पर दूसरे अनुयायी मौत के घाट उतार रहे है। सेक्स के लिए गुलाम बनाई जा रही है औरते , मासूमों को आग पर भूना जा रहा है, सैकड़ों लोगो के सर कलम कर उसके वीडियो बनाए जा रहे है। लेकिन इसमें कही अरब नहीं दिख रहा है। अरबों रूपए से दुनिया भर में इंसानी इमदाद चलाने वाले अरब कहां है जो इस वक्त अपनी ही धरती पर इस विनाशलीला को देख कर कोई हरकत नहीं कर रहे  है। हर बात पर अमेरिका को शैतान बताने वाले लोगो ये बता दो कि अयलान के मां-बाप को क्यों भागना पडा वो भी एक इस्लामी देश से पाप की खान पश्चिम देशों की ओर। पूरा अरब भाग कर यूरोप या फिर अमेरिका क्यों जाना चाहता है। और हैरानी और परेशानी दोनो ये है कि अरब में तबाही मचा रही विचारधारा से भले ही वहां लोग जान बचा कर किसी भी कीमत पर भाग रहे हो उस विचार धारा को दूर दराज के देशों में बहुत समर्थक मिल रहे है। इसीलिए ये मान लेना कि अयलान की मौत की तस्वीर इंसानियत की मौत की आखिरी तस्वीर है पूरी तरह गलत होगा।  हम लोगो को अयलान जैसे बेगुनाहों की मौत की और तस्वीरें मिलती रहेगी और वो अरब जो हिंदुस्तान जैसे देशों के लोगो को रोजगार और गर्व देता है एक मृगतृष्णा ही बना रहेगा।  और यहां से अयलान जैसे मासूमों की मौत की कहानियां मीडिया की सुर्खियां बनी रहेगी।

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