औरंगजेब को लेकर काफी लंबी बहस देखी। सोशल मीडिया से लेकर तमाम मीडिया पर। काफी लेख पढ़े। काफी रिपोर्ट देखी। हर रिपोर्ट में औरंगजेब को बेचारा, दयावान. कृपालु साबित करने की काफी मेहनत की गई। लेकिन आज इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख पढ़ा जिसमें इरफान हबीब साहब का जिक्र हुआ। मौजूदा समय के देश के सबसे बड़े इतिहासकार या कुछ ऐसे ही। अपना बहुत कुछ इतिहास में नहीं है। किसान खानदान से ताल्लुक रखते है। घर पर कोई ऐसा पुराना फोटो भी नहीं है जिसमें तलवार के साथ या फिर जवाहरात से सजे हुए या फिर बेहद रौबीले से चेहरे के साथ किसी पुरखे की फोटो हो। सदियों से किसानी-खेती करते हुए मिट्टी को मां मानते हुए साधारण से पूर्वजों का वशंज। इसीलिए किसी राज्य के छीनने का औरंगजेब पर कोई आरोप नहीं लगा सकते है। लेकिन आज इरफान हबीब साहब को पढ़ने के बाद लगा कि साहब इतिहास लिखते वक्त आंखों पर चमरौंधा जरूर लगा होगा धर्म का तो नहीं लेकिन वामपंथ का जरूर होगा। और उसका नतीजा है कि आज क्लबों, और किताबों के बाद वामपंथी अब गोल मार्किट के ऑफिस में नौकरी करते हुए पाएं जाते है। मैंने ये बात कई अपने दोस्तों से भी पढ़ी कि साहब अशोक ने भी अपने भाईयों की हत्या की थी जैसे औरंगजेब ने की थी। मन से वाह निकली। क्या बात कही है साहब। लगता है इतिहास का घोटा आपने ही संभाला हुआ है। मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ था जब बहुत सारे लोगो ने औरंगजेब को महान बताने के लिए जजिया लगाने के लिए पॉलिटिक्ल कारण गिनवाये, बहुत ने मंदिर गिराने को भी बहुत से राजनीतिक कारण गिनवाएं कोई निराशा नहीं हुई। निराशा हुई आज का लेख पढ़ने के बाद जब इरफान हबीब को अशोक और औरंगजेब को एक करते हुए देखा।जनाब क्या कलिंग युद्द के बाद अशोक के किसी युद्द का जिक्र आता है। क्या सत्ता हासिल करने या सत्ता को बढा़ने के लिए फिर अशोक ने कोई तलवार उठाई। क्या अशोक ने बौद्ध धर्म धारण करने के बाद दूसरे धर्मों पर टैक्स लगा दिया। क्या अशोक ने दूसरे धर्मों के धर्म स्थान गिरा दिए। क्या किया था अशोक ने इरफान साहब मैं इतिहास से अनभिज्ञ थोड़ा सा जानना चाहता हूं। धर्म को लेकर इस देश में जो राजनीति चल रही है वो सिर्फ देश को खतरे के निशान की ओर ले जा रही है। और इसकी बड़ी जिम्मेदारी आप जैसे महान लोगो के ऊपर है जिन्होंने पूरे इतिहास में कॉस्मेटिक चैंज करके सोचा कि इतिहास में सब कुछ ठीक ठाक कर दिया गया। इतिहास को इस तरह से लिखने की कोशिश हुई कि वाचिक परंपरा या फिर लोक परंपरा से पूरी तरह से उलट हो गया ये इतिहास। इतिहास को वर्तमान बनाने की कोशिशें हमेशा खतरनाक होती है। और इतना ही खतरनाक है है इतिहास को इतिहास न रहने देना। गांव गांव में औरंगजेब की कहानियां है वाचिक परंपराओं में उसकी छवियां बनी हुई है उनको नाम मिटाने या नाम के बहाने उसको महान सम्राट बनाने की कोशिशे भी खतनराक है। और जो लोग इसके पीछे धर्म का आधार देख रहे है वो सब इतिहास के झूठे रूप को अपने ऊपर लादकर महान बनना चाहते है। ( इसको कोई व्यक्तिगत न ले। अपना मकसद धर्मनिरपेक्षता के नाम पर फर्जी दुकान चलाने वालों से बात करना है)
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