Saturday, September 19, 2015

ऐ अफसरशाही तू जिंदाबाद, तू जिंदाबाद

कल एक खबर देखने के बाद जाने कैसा अहसास हुआ, खुशी तो नहीं थी लेकिन दर्द भी नहीं था हां आश्चर्य जरूर हुआ। दिल्ली के एक खुले गटर के ढक्कन में एक सीनियर अधिकारी गिर गया। वी सी पांडेय साहब सीनियर आईएएस है। दिल्ली के पॉश इलाके में यानि एलजीसाहब के घर के पास राजपुर रोड़ पर इवनिंग वॉक करते वक्त पांडेय साहब एक ऐसे मेनहॉल में एक पैर से अंदर चले गए जिसका ढक्कन गायब था। पैर फ्रैक्चर हो गया। गजब की खबर थी। पहली बार गटर का ढक्कन न होना किसी अधिकारी को महसूस हुआ। खबर पर बस आश्चर्य हुआ देश को ढक्कन में तब्दील कर चुके आईएएस अधिकारी भी गटर में गिर सकते है। ये तो आसमान के टूट पड़ने वाली बात है। खैर आज सुबह ही उसी अखबार में गटर पर ढक्कन लगा देखा तो सुकून आया कि देश की पहली गलती सुधार ली गई। इन्हीं गटर में इस देश की राजधानी में सफाई के दौरान पिछले सालों में मरने वालो की तादाद एक दो दस नहीं सैकड़ो में है। गटर में ढक्कन न होने की वजह से कई बच्चों के मरने की खबरें यदा-कदा सुर्खियां बनती रहती है। कई बार बच्चें की मौत पर कोई मंत्रीनुमा आदमी बयान देता है कि जांच होगी जिम्मेदारी तय होगी। कभी पता नहीं चला उस जांच का क्या हुआ। उस जिम्मेदारी के तय करने का क्या हुआ। एक और कहानी मीडिया के बौंनों की भी है हमने खबर को कवर किया मैंने फेसबुक पर उन्होंने समाचार पत्र और टीवी में और उनकी टेक थी कि दिल्ली के प़ॉश इलाके में आईएएस भी ढक्कन न होने से मेनहोल में गिर कर घायल हुए। यानि ये उनके लिए भी आश्चर्य था। इस देश में अफसरशाही हर किसी दुख और परेशानियों से मुक्त है। उस तक आम आदमी की समस्याएं छू नहीं सकती है। किसी भी अस्पताल में उसके रिश्तेदार खून के लिए इंतजार नहीं कर सकते है। उसके रिश्तेदारों को कोई वेटिंग नहीं होता है। अपने बच्चों के लिए बिलखते मां-बाप के चेहरों में उनका चेहरा शुमार नहीं होता। कभी-कभी लगता है कि देश के लिए शहीद होने वाले किसी सैनिक या फिर अफसर का रिश्ता इन अफसरों से भी होता तो कितना अच्छा होता। दिल्ली की सड़कों पर होने वाली वारदातों में, सड़कों के किनारे पर हुई लूट के शिकारों में या फिर ऐसी ही परेशानी में जिसमें आम आदमी रोज अपनी जिंदगी में खून के आंसू रोता है कभी इनके आंसू भी मिल जाते तो क्या ये तस्वीर बदल नहीं जाती। लेकििन इस देश ने अंग्रेजों के जाने के बाद जिन लोगो ने अंग्रेजों की हैसियत हासिल की थी वो यही अफसरशाही है जिसको हमने राजा बनाकर रखा। और राजाओं की हैसियत होती है राजाओं के अधिकार होते है और राजा किसी चीज के जिम्मेदार नहीं होते। इस देश में ऐसा ही चल रहा है। मन करता है सड़क पर जोर जोर से चिल्लाएं जय हो जनाब आपने इस देश में अवतार लिया।
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यहाँ दोपहर में रात हो गयी
गुलर का फुल खिलकर काफुर हो गया
गिद्ध के डैनों के नीचे
गोरैया की जिन्दगी कानून बन गयी
कैक्ट्स के दाँतों पर खून का दाग आ गया।
पंखुड़ी से फिसल कर
चांदनी अटक गयी है कांटों की नोक पर
ओस की लाल बूँदों पर
काली रात तैरती रह गयी।
उजाले के गल गये तन पर
काला कुत्ता जीभ लपलपाता रहा
गंधलाती रही सूरज की लाश
काली चादर के भीतर
अंधे दुल्हे ने काजल से
भर दी मांग दुल्हन की
यहाँ दोपहर में रात हो गयी
सुहाग-रात बन्द रह गयी
सिदरौटै के भीतर

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