Thursday, May 7, 2015

माई-बाप ये तो इंसाफ न हुआः

कल मीडिया के धर्मगुरू रो रहे थे। सब चिल्ला रहे थे। दुख से सीना फटा जा रहा था। एक से एक उपमा, उपमान गढ़े जा रहे थे। खैर ज्यादातर ऐंकरों को जो भी दुख से बोलना था बोला गया। लेकिन दुख लंबा नहीं चल पाया। सलमान खान की पिक्चरो का इंतजार करती पीढ़ी के लोगो का दुख देखा नहीं गया माई लार्ड से। और दो दिन की अतंरिम जमानत दे दी। इस बात के लिए एक महान वकील हरीश साल्वे का नाम भी खबरों में था। साल्वे साहब का मुझे याद है एक खबर थी काठ का कानून। इलाहाबाद के जूनियर जज सुप्रीम कोर्ट के फैसलेे पर स्टे देखकर आरा मशीने चलवा रहे थे। इस खबर को देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आश्चर्य से भर गए और उस वक्त कोर्ट मित्र बनाए गए महान साल्वे साहब। वो केस कहां है उनको याद नहीं। सवाल है कौन पैसा देता इसके लिए। लिहाजा वो क्यों लड़ेगे। बात सलमान की हो रही है लेकिन वकीलो का रोल क्या इस पर भी चर्चा हो तो बेहतर है। अदालत में एक ड्राईवर पेश होता है जो मौका ए वारदात पर था ही नहीं लेकिन वकीलो ने काफी मेहनत की होगी उसको क्रॉस कोचनिंग की होगी अदालत में पेश होने से पहले क्या अब अदालत में उन सब लोगो के खिलाफ अदालत को गुमराह करने का केस चलेगा। नहीं साहब ये बातें तो मीडिया के आंसूओं में डूब जाएंगी। एक और सबसे बड़ी हैडलाईंस नवभारत टाईम्स ने दी जिसमें रिपोर्टर ने शेयर मार्किट 700 प्वाईँट गिरने का कारण सलमान खान भी है। रोते हुए ऐंकर, छाती पीटते हुए फैंस और आंसू बहाती हुई फिल्म इंडस्र्ट्री में सबसे हास्याप्रद इस रिपोर्टर की खबर थी। एक बदतमीज, आदतन ऑफेंडर, महिलाओं की बेईज्जती, जानवरों का शिकार (अवैध) के रने के लिए बदनाम साहब को कानून की कभी कभार पड़ने वाली लाठी पड़ी लेकिन दो घंटें बाद ही टूट गई। लिखने को रोने को बहुत सारी कहानियां लिखी जा सकती है। लेकिन अदालत की दहलीज पर कानून ने ही दम तोड़ दिया। कल लग रहा था लैंड क्रूजर से मरने वाला, उससे कुचलने वाले इस देश के गद्दार है। वो पाटिल नाम का पुलिसवाला जिस पर बयान बदलने के लिए कितने दबाव पड़े होगे। नौकरी गई, अस्पताल में लावारिस की तरह दम तोड़ा उसपर गद्दारी का आरोप लगा देंगे ये लोग और फैंस तो उसको जिंदा जलाने की सोचने लगते। इतना बड़ा अपराध और पुलिस की बात अक्सर बड़े लोगो के लिए अचानक सहद्य हो जाने वाली पुलिस ने कितने कट कट कर सबूत दिए होंगे उस पर लोअर कोर्ट ने न सोचा हो लेकिन हाईकोर्ट ने तो ख्याल रखा । सलमान के खिलाफ बोलने का हौंसला चांहिए। पता नहीं इस बात से उसके फैंस का कितना वास्ता होगा मालूम नहीं लेकिन मुझे याद है हरीश दुलानी वही शख्स जिसने ब्लैक बग शिकार मामले मेें पहचान की थी और बाद में सालों तक गायब हो गया कहां कोई नहीं जानता था। मुझे याद है सलमान साहब के मुस्कुराते हुए वकील हस्तीमल सारस्वत थे( शायद यही नाम है) जोधपुर में बड़ी हस्ती है। हा सालों बाद जब हरीश दुलानी आया तो वो पागल हो चुका है खैर जाने दीजिए बाद में बात करेंगे।
लेकिन आज सिर्फ राग दरबारी का गरीबों के लिए अदालत का क्या मतलब है ये लिख रहा हूं श्रीलाल शुक्ल साहब की किताब से साभार
-" यह मेरा विश्वास है कि हमारी अदालतों में ही पुनर्जन्म के सिद्धांत का आविष्कार हुआ होगा। ताकि वादी और प्रतिवादी इस अफसोस को ले कर न मरें कि उनका मुकदमा अधूरा ही पड़ा रहा। इस पूर्वजन्म के सिद्धांत के सहारे वे चैन से मर सकते हैं क्योंकि मुकदमे का फैसला इस जन्म में नहीं तो हुआ तो क्या हुआ? अभी अगला जनम तो पड़ा ही है। हा हा हा...
लंगड़- (दीन भाव से वैद्य जी से) जाता हूँ बापू। (जाता है)
रंगनाथ- (अपने से ) कुछ करना चाहिए.... (जोर से) यह सब गलत है। कुछ करना चाहिए।
सनीचर- क्या कर सकते हो रंगनाथ बाबू। कोई क्या कर सकता है? जिसके छिलता है, उसी के चुनमुनाता है। लोग अपना ही दुख-दर्द ढो लें, यही बहुत है। दूसरे का बोझा कौन उठा सकता है? अब तो वही है भैया कि तुम अपना दाद उधर से खुजलाओ, हम अपना इधर से खुजलायें।"
और अमीरो ताकतवर लोगो का राग दरबारी क्या होता है वो आपको दिखा दिया है हाईकोर्ट ने, दो घंटें में जमानत देकर । जय हो साहब की, माई-बाप आपने सब कुछ किया सलमान साहब के लिए बस इंसाफ नहीं किया।

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