Saturday, May 16, 2015

ताक़तवर सलमान और देखो कहाँ छिपे हैं बेईमान

ज़मानत मिली और सलमान बाहर। सवाल पुलिस पर था कि ये अंदर गया ही कैसे। मैं अभी भी विश्वास से कहता हूँ कि कुछ ऐसे लूप होल ज़रूर होंगे जो पुलिस ने महान आदमी सलमान के लिये छोड़े होंगे। इसका आधार हैं अपने ही कांस्टिबल को ऐसी मौत देना। ये जानकारी अपने दोस्त मनीष की सोशल साईट से ली है।
बहुचर्चित ‘हिट एंड रन मामले’ में कोर्ट ने सलमान खान को दोषी करार दिया है। उन पर लगे सभी आरोप सही साबित हो गए हैं। इस मामले में कोर्ट ने उन्हें पांच साल की सजा सुनाई है। साथ ही उन पर 25 हजार रू. का जुर्माना भी लगाया गया है। ये केस तो सुर्खियों में है, लेकिन आज उनको जेल की दहलीज तक पहुँचाने वाला एक शख्श ऐसा है जो हम लोगों के बीच नहीं है। ……… वह शख्श थें "कॉन्सटेबल रवींद्र पाटिल"।
किसी को याद नहीं होगा कि रवींद्र पाटिल सलमान खान से जुड़े ‘हिट एंड रन’ मामले में एक प्रमुख गवाह था। यही वो शख्स था, जो इस केस के बारे में सब कुछ जानता था। इस केस के चश्मदीद गवाह रहे रवींद्र पाटिल आज इस दुनिया में नहीं है। वह ही शख्श था, जिसने पुलिस को सबसे पहले सूचित किया था और वही मुख्य गवाह होने के कारण उस पर स्टेटमेंट बदलने के लिए दवाब डाला गया, ताकि सलमान खान जेल जाने से बच सके। लेकिन उसने अपनी आखिरी सांस तक बयान नहीं बदला। वींद्र को बयान बदलने के लिए लालच और धमकी भी दी गई। यहां तक कि पुलिस ने उसके परिवार को काफी परेशान भी किया।
‘हिट एंड रन मामले’ में जुड़ने के बाद से ही रवींद्र कोर्ट-कचहरी तथा उस पर वकीलों के दबाव और अधिकारियों के भी उस पर दबाव के चलते परेशान हो गया था। वह कोर्ट में वकीलों के सवालों के सवाल जवाब तथा लगातार मिल रही धमकियों से चलते वह डिप्रेशन में चला गया, जिससे उसकी नौकरी पर भी प्रभाव पड़ा । कई बार डिप्रेशन के कारण नौकरी पर न पहुँच पाने के चलते सीनियर पुलिस अधिकारियों ने नौकरी से अनुपस्थित रहने का आरोप लगाकर रवींद्र को नौकरी से निकाल दिया था। नौकरी से निकाल देने के बाद भी पुलिस ने रवींद्र का पीछा नहीं छोड़ा था। इसलिए वह मुंबई से कहीं और चला गया था। परिवार के अनुसार वह अक्सर चोरी-छिपे अपनी पत्नी व परिवार से मिलने एक-दो दिन के लिए मुंबई आया करता था।
एक दो बार बीमारी के चलते पेशी के दौरान कोर्ट में अनुपस्थित रहने के आरोप में रवींद्र को जेल भेज दिया गया। जेल में भी उसे अन्य कैदियों से अलग रखा गया । एक बार उसे सीरियल किलर्स के साथ ही रखा गया। रवींद्र ने इसके लिए आवेदन भी किया था कि उसे सीरियल किलर के साथ न रखा जाए, लेकिन कोर्ट ने उसके इस आवेदन को रद्द कर दिया था।
इस केस में जेल से बाहर आने के बाद परिवार वालों ने उसे बयान बदलने के लिए काफी समझाया, क्योंकि पुलिस परिवार को परेशान कर रही थी। लेकिन इस रवींद्र ने उनकी बात नहीं मानी, और अपना बयान नहीं बदला।
रवींद्र की मौत 2007 में सेवरी म्युनिसिपल अस्पताल में हुई। उस दौरान वह नर्वस ब्रेक डाउन का शिकार हो गया था, तथा उसका जीवन भीख मांग कर चल रहा था। जब उसने अंतिम सांस ली, तब उसके पास परिवार का भी कोई व्यक्ति नहीं था।
आज हमारे देश की ये कड़वी सच्चाई है, कि जिस पुलिस "कॉन्सटेबल रवींद्र पाटिल" के बयान ने खुद को कानून से ऊपर समझने वाले को सजा दिलवाई, वह खुद वरिष्ठ अधिकारियों के शोषण, विभाग के द्वारा उसके उत्पीड़न, झूठे आरोप में बर्खास्तगी, जेल की सजा, बीमारी, भुखमरी और लावारिस मौत मर गया, लेकिन जिस व्यक्ति के खिलाफ वह अंत तक अपने बयान पर कायम रहा, उस व्यक्ति को सजा सुनाये जाने के तीनं घण्टे के अंदर जमानत मिल गयी, क्योंकि वो एक पैसेवाला था........ लेकिन कानून पर आस्था रखने वाले "कॉन्सटेबल रवींद्र पाटिल" का ये देश जरूर आभारी रहेगा, क्योंकि वो जीवन के अंत तक पैसे के दबाव में नहीं आया .............नमन

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