Saturday, May 16, 2015

हाईकोर्ट का दिल भी भर आया उसी दिन सुन ली माई लॉर्ड ने। खान की जेल जाने के बाद ऐंकरों की आंखों में रोना आ गया और दिल टूट गए। और बचाव पक्ष के वकील ब्लड मनी देकर मामला रफा-दफा करना चाहते है।

जयप्रकाश चौकसे इतने दुखी थे कि उनसे बोला नहीं जा रहा था, बता रहे थे कि सलमान खान की मां को सबसे बड़ा आघात लगा है। लेडी अर्णव इतनी भावविह्वल हो रही थी कि लग रहा था कि भावभीनी श्रंद्धाजलि दे रही हो। ये कहने को आज की मीडिया की एक विडो हो सकती है लेकिन औसतर सबका तबसरा ये ही थी। बेचारे को सजा हो गई। लोगो को बेहद दुख हुआ। धीमें-धीमें , धीरे-धीरे बुनी गई एक स्वप्निल नायक की छवि काम न आई। एंटी हीरो की एक ऐसी छवि जिसका दीवाना हिंदुस्तानी युवा वर्ग है। भाई बड़ा गुस्सें वाला है( मतलब मैचो मैन है) भाई बड़ा दिलवाला है ( किसी को कुछ भी देता है) भाई बड़ा घरेलू है( हिंदुस्तानी किताबी छवि) भाई चुपचाप दान करता है( दानवीर की ऐसी छवि इस हाथ दे तो उस हाथ को पता न चले--आईडियल दानी) ऐसी कई छवियों के साथ सलमान खान को कल से मीडिया नवाज रहा था। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था जिस पर कुछ बहस की जाती। मीडिया के सहारे, 70 एमएम के पर्दे से निकल लोगो के घरो, दिलो-दिमाग तक छा गए बॉलिवुड के एक ऐसे इंसान का मामला कोर्ट में था जिसने शराब के नशे में आदमी को आदमी नहीं कद्दू समझा। जैसे चाहा गाड़ी चढ़ा दी। मारे गए लोगो को लोग कोस रहे है। कई लोग उसको भाग्यशाली भी कह सकते है क्योंकि सलमान की लैंडक्रूजर से मरा है नहीं तो किसी दिन बूढ़ा होकर मरता। गजब का देश है। अभी टि्व्टिर पर मातमपुर्सी शुरू हो गई है। संजय दत्त के केस की तरह अगर सलमान खान किसी आम हिंदुस्तानी परिवार का बेटा होता तो आजतक किसी जेल की सलाखों में अपनी एड़ियां रगड़ रहा होता। एक नहीं कई मामले, बदतमीजी की पराकाष्ठा पर जीने वाले आदमी। एक दो नहीं दर्जनों उदाहरण मुंबई की सड़कों पर उसके दीवाने ही सुनाते मिल जाएगे। सवाल ये नहीं है कि सजा दी गई सवाल ये है कि 13 साल लग गए इस महान आत्मा को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए। पीआईएल का सहारा लेना पड़ा। इस आदमी को सजा दिलाने के लिएे। देश में हजारों अंडरट्रायल जेलों में 10-10 साल तक एक अपील के लिए तरसते है लेकिन अदालतों के पास उनको सुनने का समय नहीं होता। लेकिन महान भारतीय बन चुके सलमान खान साहब को लेकर हाईकोर्ट एक दम दयालु हो गया। जमानत के लिए इंतजार करने लगा। खैर ये तो चलना ही था। तेरह साल तक अदालत की दहलीज पर अगर सलमान दहाड़ते रहे तो इसके पीछे उनका प्यारा होना नहीं बल्कि उनके पास चांदी का जूता होना है। और जूता भी इतना भारी कि ब्लैक बग का मामला, सहकर्मियों के साथ बदतमीजी, अवैध हथियार रखना, और फिर इस मामले में ड्राईवर भी पैदा कर दिया जो मौका ए वारदात पर था ही नहीं लेकिन सलमान साहब के लिए बलिदान देने के लिए तैयार हो गया।

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