Monday, February 9, 2015

रोशनी में रोशनी की तलाश


लंबें अंधेरों में डूबे हुए तलाश कितनी मुश्किल थी
अंधेरों में दीवारें टटोलते हुए , अबूझ रास्तें
भूख से लिथड़े- सब कुछ मुश्किल था उन अंधेरों से बाहर आना
फिर रोशनी शब्द मिला
कुछ ने दिए जलाएं, कुछ ने मशाल बनाई
इस सब के बीच मशालों में जरूरत पड़ी
तो मुर्दा जिस्मों ने निबाहा लकड़ियों का दायित्व
मोमबत्तियों के सहारे चलते हुए निकले सुरंग से बाहर
लाठी के पीछे पीछे
दिन के उजाले में पूरी हुई तलाश सूरज की
जाने कितनी आंखें बंद हो गई वक्त की उन अंधीं सुरंगों में
लेकिन रोशनी में भी चौंधिया गईं आंखें
कुछ जोड़ी आंखों को छोड़कर
बाकि के लिए मुश्किल था इस रोशनी और आंखों के बीच रिश्ता
अब आंखों में रोशनी थी लेकिन रोशनी जिंदगी से कही दूर थी
रोटियों के बीच भूखें आदमी,  अपार्टमेंट के किनारे बहते नालों के पास रेंगते हुए
घर की तलाश और रोशनी में रोशनी की तलाश हमेशा मुश्किल होती है।
कई बार ये कहना मुझे रोशनी चाहिएं आपको पहुंचा सकता है एलईडी बल्ब बेचने वालों के पास
कई बार भेज सकता है दवाई देने वालों के पास
क्योंकि अंधेंरों में रोशनी तलाशना जैसे आसान काम था

रोशनी में रोशनी की तलाश करना के मुकाबले  में

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