Tuesday, February 17, 2015

हत्यारा कौन : मां


दिन में कई बार लरजा होगा दिल
कई बार कांप गए होंगे हाथ
कई बार नहीं निकली होगी आवाज
रूधें हुए गले से
कई बार गले से लगाया होगा
कई बार दुलारा होगा
कई बार हाथों को घुमाती रही होगी गर्दन पर
कई बार घर में लटकी उस तस्वीर को देखा होगा
कई बार हाथ जोड़ने को उठे होंगे
कई बार पूछा होगा
कई बार दिल पत्थर किया होगा
कई बार निगाह गई होगी दरवाजों पर
कई बार दरवाजों को निहारा होगा
कई बार बर्तनों को झाड़ा होगा
कई बार प्यार किया होगा
कई बार फिर से गले लगाया होगा
कई बार आंखों में देखा होगा
कई बार अपना ही मुंह दबाया होगा
कई बार कानों को बंद किया होगा
कई बार दरवाजों तक उठे कदमों को लौटाया होगा
लेकिन एक बार
बस एक बार
भूखे बच्चों के गले में मां ने फांसी का फंदा लगाया होगा
एक बार सिर्फ एक बार
उनको फंदें पर झुलाया होगा
एक बार
सिर्फ एक बार
अपने गले में कसा होगा फंदा
मौत से पहले अपनी
सिर्फ एक बार
ईश्वर को गरियाया होगा
और एक बार भी नहीं
एक बार भी नहीं
उसके दिल में
किसी झूठी सरकार का ख्याल आया होगा

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