Saturday, February 14, 2015

''क्यों"

मां ने कहा
मैंने सर झुका दिया
पिता ने कहा
ये हमारी कुल परंपरा है,
ये हमारे समाज की मान्यता है
और इनके अलावा पिता के नाते
तुम्हारे लिए ये सब मुझे सही लगता है
तो मैंने मान लिया
स्कूल में टीचर ने कहा
माना कि ये एन है
ये कोषथीटा है
ये पाई है
मैंने रट ली गणित की वो पोथी भी
उन्ही के बताएं फार्मूलों पर
दोस्तों ने कहा
ये ऐसा है
वो वैसा है
मैंने भी बोल दिया उनके इशारों पर
और चुप्पी साध ली सब के साथ
और अब
भूख सामने से आती है
अन्याय आंखों से गुजरता है
रोज मरती है
आत्मा
सरे राह
कोई रास्ता नहीं देता किसी को
और अब
मौत ने खोज लिया मेरा घर
छोड़कर हजारों कद्रदानों के घर
तो पहली बार लगता है
"क्यों"
ये शब्द
बहुत पहले बोलना था
ठीक मौत के सामने नहीं।

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