Monday, October 19, 2015

बाकि का क्या जिनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं

रास्ते भर मारामारी
एक तरफ चमकती दुकानें
नियान लाईटे बदलती एलईडी में
अंदर की दुकान की चमक बाहर तक
पहले सीढ़िया सड़क पर
फिर सड़क पार्किंग में
और फिर पार्किंग से बाहर की सड़क पर कार
दूसरी ओर बेतरतीब दुकानें
खोंखे , रिक्शा, तिपहिया स्कूटर
और बीच में चौराहों से गायब सिपाही
कोनों में ट्रकों से हासिल रकम का हिसाब करते हुए
रोज-रोज का ये रास्ता
सड़क पर इतना बोझ बस नहीं था
सत्ता में आई पार्टियों के झंडे
और सत्ता के मद में झूमते नेता
सड़कों के बीच खड़ी एसयूवी
कई बार खिड़कियां खोल कर
खूबसूरती से ताकत का प्रदर्शन
आवाज और हॉर्न दोनो बजाना
सर पर व्रज बन कर गिर सकता है
लिहाजा मैंने बदल लिया रास्ता
लंबा सही लेकिन कुछ बेहतर हो
रास्ता ऐसा चुना जिसपर
नौकरशाह गुजरते हो
जिस पर सत्ताधीश गुजरते हो
और
जिन पर न्यायधीश गुजरते हो
रास्ते में जाम कही बार हो जाता है
सत्ता में ताकत के हिसाब से बनता है गाड़ियों का काफिला
कई बार उतर आता है कोई गरीबों का मसीहा
अपनी समाजवादी चादर के साथ
ऐसे वक्त में फिर से हॉर्न पर हाथ नहीं जाता है
मैंने बदल लिया रास्ता
गलियों से जाने लगा।
कई बार गलियों में जग जाता है ऊपर वाला
कभी कोई जलूस तो कभी किसी की बारात
कई बार शादियों के बैंड बाजे में नाचते लोग
रोक लेते है तुम्हारी गाडी
कई बार इंतजार करना होता
कार के बोनट पर गिलास रखे हुए आदमियों के मूड का
हर रोज घऱ पहुचने के लिए रास्ता बदलना पड़ता है
बच्चों को जागते हुए देखने के लिए
रास्तों की तलाश करनी पड़ती है
एक और नए रास्तें की तलाश में हूं
कि
रात ख्याल आया
उनका क्या होता है
जिनके पास दूसरा रास्ता नहीं होता
उनको एक ही रास्ते से गुजरना होता है बार बार
और
क्या 
बात सिर्फ घर तक पहुचने वाली सड़क की है 

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