Monday, January 11, 2010

अरे हबीब की गर्दन बच गयी...मुरादाबाद के सैकड़ों सर कटे सऊदी अरब में...

हबीब वापस चला आया। अपने घर से हजारों मील दूर पैसे कमाने की आस में गया हबीब किसी तरह एक प्लेन में छिपकर अपनी जान बचा कर लौट आया। लेकिन ये सालों दर साल से चल रही गल्फ कंट्रीज में हिंदुस्तानी लोगों के साथ हो रहे शोषण की किताब का एक बरखा भर है। मैं शोषण की ऐसी किताब का एक पन्ना आपके सामने खोलता हूं जो आज भी आपके रोंगटें खड़े कर सकता है।
मुरादाबाद जिले के सदर डाकखानें में जब एक साथ 52 पैकेट आये तो ये कोई नयी बात नहीं थी। इस इलाके के लोग हजारों की तादाद में रोजी-रोटी कमाने गल्फ कंट्रीज गये थे। और महीने दर महीने अपने घर वालों के लिये सामान भेजते रहते थे। लेकिन इस बार इन पैकेटों का वजन कुछ कम था। क्योंकि आम तौर आने वाले सामानों में टेपरिकार्ड, परफ्यूम और दूसरे ऐसे आईटम होते थे जिसकी इस इलाके में पूछ थी। खैर डाकखाने से आस-पास के गांवों के डाकिये जब इन पैकेटों को लेकर घर पहुंचे तो घरवालों ने उत्सुकता से पैकेटों को खोला। लेकिन पैकेट के अंदर के सामान ने उन्हें कुछ उलझा दिया। पैकेट के अंदर सऊदी अरब गये उनके पिता- चाचा – या भाई का पासपोर्ट और पहने गये कपड़े थे। और साथ में था एक कागज जिस पर अंग्रेजी और अरबी में कुछ लिखा था। गांव में उपलब्ध किसी पढ़े लिखे आदमी से उस खत को सुना तो घर पहले तो सन्नाटे और फिर रोने की आवाजों से भर गया। खत में लिखा था कि पासपोर्टधारी आदमी को नशीली दवाओं की तस्करी में लिप्त पाये जाने के कारण सऊदी कानून के मुताबिक मौत की सजा दे दी गयी। सऊदी में मौत की सजा शुक्रवार को दोपहर की नमाज के बाद शहर के व्यस्ततम चौराहे पर गर्दन उड़ा कर दी जाती है। मातम घर से निकल कर गांव की चौपाल पर पहुंचा वहां से लोगों की जुबां में तैरता हुआ कस्बे के बाजारों तक पहुंच गया। तब पता चला कि 52 से ज्यादा लोगों की गर्दन उड़ा दी गयी। खबर आयी थी बरास्ते दिल्ली और पहुंच गयी दिल्ली वापस। खबर कवर करने मैं पहुंचा अमरोहा(ज्योतिबाबा फूले नगर)। एक के बाद एक घरों में पहुंचा। तो पता चला कि ज्यादातर लोग उमरा करने गये थे। रमजान के दिनों में हज के अलावा दूसरे दिनों में मक्का-मदीना की यात्रा करने ये लोग गये थे। लेकिन एक बात जो चौंकाने वाली थी कि इन लोगों की यात्रा का इंतजाम किया गया था। यानि इन लोगों ने खुद के पैसे पर यात्रा नहीं थी इनके उमरे का ज्यादातर खर्च इलाके के कुछ ऐसे लोगों ने उठाया था जो रातों-रात अमीर बने थे और अब असरदार आदमी में तब्दील हो चुके थे। ज्यादातर लोगों के घर वालों ने मुंह खोलने से परहेज किया लेकिन ये बता भी दिया कि उनको इस यात्रा के लिये पैसे भी दिये गये थे। और जब ये लोग यात्रा पर जाने लगे तो उन्हें बैंगों में रखने के लिये खास कंबल या फिर कोई पैकेट दिये गये जिसकों उन्हें जेद्दा में किसी आदमी को सौंपना था । यहां से सब लोग पार कर गये और जब जेद्दा एअरपोर्ट पर उनके बैंगों की सख्ती से तलाशी ली गयी तो पता चला कि ये सब नशीले पदार्थ थे जिसकी उनसे तस्करी करायी जा रही थी। उन लोगों ने अपनी बेगुनाही का सबूत देने की कोशिश की लेकिन सऊदी एजेंसियों ने इस बात पर कोई तवज्जों नहीं दी कि ये शख्स तो पैगंबर साहेब की जमीन पर सजदा करने आये हैं। और हिंदुस्तानी अधिकारियों की निगाह में इन लोगों की हैसियत ही क्या थीं। इस तरह से सिर्फ मुरादाबाद जिले के ही सैकड़ों लोगों ने विदेशी सरजमीं पर अपनी जिंदगी गवां दी। लेकिन हिंदुस्तानी एजेंसियों ने इस धंधें की तह में जाने की कोशिश नहीं की। मुरादाबाद पुलिस को अफवाहों में ही ये खबर मिली। और उऩ्होंने जांच की या नहीं भगवान जाने.....। मुरादाबाद रोड़ पर बने अमरोहा थाने के सामने एक मेडीकल स्टोर है उसके मालिक की पीठ पर बने कोड़ों के निशान आज भी आप की रूह को कंपा सकते है। लेकिन जब दो-दो रिपोर्टर ने एक-एक साल के अंतर पर थानेदार से जानकारी चाही तो उनका जवाब था कि ऐसा तो कुछ की जानकारी में नहीं है। खैर गांव दर गांव..मुंह दर मुंह ये बात इलाके में फैल गयी और लोगों ने शिकारियों के जाल में फंसना बंद कर दिया। लेकिन इस धंधें के असली लोग कभी सामने नहीं आये.....। और अब हबीब की कहानी में जहां देश की सुरक्षा एजेंसियां हैरत में है वही उसका एजेंट दूसरे शिकार की तलाश कर चुका होंगा। वो जानता है कि नशीले सौदागरों की तरह उसका भी कुछ नहीं बिगड़ेगा...आखिर चांदी का जूता ही सब पर राज करता है।

2 comments:

Randhir Singh Suman said...

sriman ji,
saudi arab mein samantvaad hai rajshahi hai american samrajyvaad ka agent desh hai poori duniya mein nashile vyapar aur atankvaad ka mukhy gadh america hai vo dono taraf maar karta hai ek taraf vah nasha unmoolan chahta hai to dusari taraf narkotiks drugs ka sabse bada vyapaari bhi hai saudi arab mein bharat pakistan bangladesh ki logon ki hatya hoti hai kisi bhi europian ya american ko saja nahi hoti agar jaanch kiya jata hai jisko packet in logo ko dena tha vah yah to european ya american hoga ya vahan k rajyparivaar ka sadasy hoga. vahan bhi sabkuch hota hai par kuch vishesh logon ko sabkuch karne ki suvidha hai .

Udan Tashtari said...

हैरानी होती है ऐसी खबरें सुन कर...जाने क्यूँ, सरकार चुप बैठी है.