Saturday, January 9, 2010

अरे ये लोग प्रधानमंत्री को नहीं पहचानते, दिल्ली में रहकर भी

सेवन रेसकोर्स रोड़ और कनॉट प्लेस के बीच कितनी दूरी है। सवाल दिल्ली से बाहर रहने वाले लोगों के लिये अटपटा जरूर हो सकता है।लेकिन जो दिल्ली में रहते है वो जानते है कि पत्थर फेंक दे तो इन दोनों के बीच की दूरी पार की जा सकती है। लेकिन इस दूरी को पार करने में देश के प्रधानमंत्री को शायद इतना अंतर लग रहा है जितना अर्सा हमारे वैज्ञानिकों को चांद पर जाने में नहीं लगता। कैसे ....ये मैं आप को सुझा सकता हूं। देश के प्रधानमंत्री का आवास है सात रेसकोर्स रोड़। प्रधानमंत्री के आवास के सामने यानि रेसकोर्स रोड़ के आप-पास से भी आप गुजरते हो तो आप को मालूम होता है कि ये देश के सबसे ताकतवर आदमी का आवास है औऱ तब आप और भी सजग हो जायेंगे जब ये पता चलेगा कि आपके प्रधानमंत्री वर्ल्ड बैंक की नौकरी के दौरान विदेश में रह चुके है। अब प्रधानमंत्री विदेश में पढ़े लिखे और नौकरीशुदा है तो जीनियस तो होंगे ही आम फहम बात है हमारे देश के लिये क्योंकि विदेशी अपना नौकर पढ़े लिखे औऱ समझदार काले हिंदुस्तानियों को ही रखते है।
अब आप कनॉट प्लेस के चमचमाते गोल चक्करों पर नजर दौड़ाये सरकार के खर्चे पर आजकल पूरा कनॉट प्लेस को चमकाया जा रहा है यानि दुकाने और उनका फायदा दुकानदारों और उनकी चमकदमक का इंतजाम देश का। आखिरकार दुनिया में देश की इज्जत का मामला है। लेकिन इसी कनॉट प्लेस के गलियारों में खुली सड़कों पर एक दो. दस या सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों की तादाद में नशे में डूबे. जिंदगी से चिपटे हुये लोगों के पॉलीथीन या दूसरे कूडे़ को बीनते हुये लोग दिखायी देंगे। इन लोगों को सरे-राह आप हाथ में रूमाल लेकर मुंह में सांस खींचतें या फिर एक चमकीली सी फॉयल को जला कर पीते हुये देख सकते है। इनके साथ औरते-बच्चे सभी होते है। और ये झुंड के झुंड कभी कूड़ा बीनते है और कभी-कभी किसी गाड़ी के सामने हाथ फैलाते हुये दिखायी दे जाते है।
ये तादाद लगातार बढ़ती दिख रही हैजाते है। सड़क से गुजरने वाला हर आदमी इन लोगों से नफरत करता है और शायद ही मैंने कभी भीख देते हुये देखा है।
लेकिन बात प्रधानमंत्री की हो रही है। देश के बाहर भी मनमोहन सिंह को इतने लोग इज्जत देते है औऱ मानते है देश की तरक्की का एक बड़ा कारण मनमोहन सिंह की मनमोहनी आर्थिक नीतियां है। और इन्हीं नीतियों के दम पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाल ही में बताया कि देश में गरीबी कम हुई है। और प्रधानमंत्री की बात की अहमियत इस लिये भी बढ़ जाती है क्योंकि देश के कई अर्थशास्त्रियों के मुताबिक देश में गरीबों की तादाद काफी हद तक बढ़ गयी है। इसके साथ ही देश में पर व्यक्ति दाल की खपत कम हुयी है। लेकिन प्रधानमंत्री के इस बयान के इऩ अर्थशास्त्रियों के विचार में क्या बदलाव आया नहीं जानता। लेकिन मैंने सोचा कि कनॉट प्लेस में घूमने वाले इन लोगों से जानकारी करूं कि इन लोगों ने मनमोहन सिंह साहब के बयान पर कितना गौर किया। दो घंटे की कवायद में मुझ से कोई बात करने के लिये तैयार नहीं हुआ और एक दो ने पैसे के लिये बात की तो ये जानकर मुझे बहुत निराशा हुयी कि वो ये ही नहीं जानते कि मनमोहन सिंह कौन है। और दूसरी तरफ मेरी हैसियत नहीं है कि मैं मनमोहन सिंह जी से जाकर पूछूं कि क्या आप कनॉट प्लेस में रहने वाले उन लोगों को जानते है। मुझे उम्मीद है कि बेचारे प्रधानमंत्री नहीं जानते होंगे नहीं तो दिल्ली से इतनी दूर जाकर ये बताने की जरूरत नहीं थी कि देश में गरीबी कम हो गयी है वो भाषण इन्हीं लोगों के बीच दे दिये होते।

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