हालीवुड की एक चर्चित फिल्म ब्लड डायमंड में दस बारह साल के बच्चों को खूंखार हत्यारों में तब्दील करने का एक सीन है। विलेन नशे में डूबे बच्चों को उपनाम देना शुरू करता है तो एक को बोलता है कि तुम्हारा नाम है मासूम कलियों को कुचलने वाला, दूसरे को बोलता है तुम्हारा नाम बच्चों का कातिल,और तीसरे से बोलता है आज से तुम जाना जायेगा औरतों का बलात्कारी। इसके बाद फिल्म में जब ये बच्चे किसी गांव को लूटते है या हत्याएं करते है तो अपना नाम लेकर उन्माद से चिल्लाते है।
मैं एनसीआर के अखबारों में अक्सर शहरों के नाम पढ़ता हूं जो उनके मुताबिक उन्हें दुनिया की किसी मैगजीन ने उन्हें दिये है। और फिर रह-रहकर उसका जिक्र करते हुये पत्रकारों को देखता हूं तो अक्सर जुगुप्सा पैदा करने वाला ये सीन याद आता है।
गाजियाबाद है हॉट सिटी। गुडगांव है मिलेनियम सिटी। ऐसे ही कई सिटी और है देश में जिनके बारे में जब भी अखबार लिखता है तो शुरू करता है दुनिया के किसी हिस्से में छपने वाली किताब से दिया गया कोई उपनाम। मसलन गाजियाबाद की खबर देखें तो किसी भी अखबार में छपी हो शुरू होती है हॉट सिटी में ऐसा। अब कोई इन पत्रकारों से पूछे भाई ये कोई सरकारी टाईटल है जिसे वो धारण किये हुये है। या फिर देश की संसद में पारित हुआ कोई प्रस्ताव जिसे बार-बार वो दिखाता घूम रहा। लेकिन अंधों के गांव में फूलों का रंग पूछ रहे हो।
गाजियाबाद से दिल्ली आते वक्त आप को दिख जायेगा कि किस सिटी को वो हॉट सिटी लिख रहे है। बिल्डरों औऱ भ्रष्ट्राचारी नेताओं के गठजोड़ के इशारे में बनाये गये इन उपनामों के सहारे हजारों लोगों को रोज मूर्ख बनाया जाता है।
मोहन नगर तिराहे से शुरू हुआ दर्शन आनंद विहार तक आपको यकीन दिला देता है कि आंखों की लाज और कानून का लिहाज कही और के लिये लिखे गये शब्द है इस शहर के लिये नहीं। एसएसपी जो अब डीआईजी अखिल कुमार साहब है से बातचीत हो रही थी। उनके साथ उनके एसपीसिटी साहब भी बैठे थे। बातचीत में उनको बताया गया कि आपके यहां एक साहिबाबाद मंडी है जहां रोज सामने सड़क पर दूसरे तरफ ऑटो और ट्रक वाले खड़ा कर देते है और 11 बजे तक कोई उनको पूछने वाला नहीं होता। सड़क के दोनों ओर दुकान वालों ने अपने वाहन खड़े किये हुए है। लाईटे सिर्फ बच्चों को ये बताने के लिये लगी हुई है कि हरा रंग कौन सा होता है और लाल कौन सा। तो एसएसपी साहब ने तुरंत अपने एसपीसिटी को आदेशदिया कि कल से ये सब नहीं होना चाहिये। ये काम बेहद आसानी से हो सकता था क्योंकि उस कट से दो कदम गिन कर ही काफी जगह खाली है। लेकिन आप आज भी उधर से आते है तो दिख जायेगा कि एसपी सिटी के लिये उस आदेश की कितनी अहमियत थी। जाम में फंसे-फंसे आप खुद को ही कोसने लगते है। आनंद विहार पर ठगों के गिरोह पुलिस चौकी के सामने धडल्ले से ठगी का धंधा चलाते है। ऐसा नहीं है कि पुलिस को पता नहीं है। एक बार घर लौट रहा था तो ठीक चौकी के सामने एक दो आदमियों ने घेर लिया। एक ने बताना शुरू किया साहब सोने के डायल की घडी है। बहुत मजबूरी है बेच रहा हूं। दूसरे ने कहा कितने की है। 2000 रूपये की है। साहब ले लो। ओरिजनल है। मैंने कहा भाई जाओं किसी और को पकड़ों लेकिन वो मेरे पीछे पड़े थे। ऐसे में मैंने चौकी में जाकर एक सिपाही को कहा भाई ये लोग ठगी कर रहे है इनसे जरा मिल लो। कोई त्यागी साहब थे उनके साथ गया और एक आदमी को पकड़ लाये। इसके बाद मैंने ये बात तत्कालीन एसपीसिटी विजय कुमार को बता दी। मैं घर चला गया और दो दिन बाद ही मैंने उसी आदमी को उसी तरह से घड़ी के साथ लोगों को ठगते हुये देखा। वो आपको आज भी तथाकथित हॉट सिटी के दरवाजे यानि आनंद विहार में मिल सकता है। आप शाम के सात बजे के बाद आसानी से देख सकते है कई सौ ऐसे ऑटो वाले जिनका कोई नंबर नहीं है। ऐसी बसें जो किसी से रजिस्टर्ड नहीं है। लेकिन जाने क्यों अखबार वाले रिपोर्टर्स को जब भी खबर लिखनी होती है वो शुरू करते है देश के हॉट सिटी से।.......गुडगांव पर भी आगे .....
1 comment:
आपकी बात में दम है. वैसे हॉट सिटी शायद इसलिए लिखा जाता हो कि ये सिटी बहुत हॉट है मतलब गरम है, बच के चलना नहीं तो झुलस जाओगे. ha ha
वैसे चंडीगढ़ को सिटी beautiful कहा जाता है और जयपुर को पिंक सिटी. पंचकुला को मीडिया ने अब ज्यादा क्राइम की वजह से क्राइम सिटी का नाम देना शुरू किया है.
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