Friday, March 20, 2009

काले को काला. सफेद को सफेद कहना

काला
वो बोले
भय से भीगी जनता चिल्लाई.... काला,
लेकिन वो काला रंग नहीं था
मैंने हाथों से मली आंखें बार-बार
दिमाग पर जोर डाला कई बार,
लेकिन ये तो नहीं है काला
मेरे चारो ओर घिर आये लोग
जोर देकर उन्होंने कहा कि काला
ध्यान से देखा मैंने फिर
लेकिन ये नहीं है काला
थोड़ी धीमी हो गयी थी मेरी आवाज
वो जिनकी तेज निगाह थी मुझ पर
उन्होंने कहा देखो ध्यान से
अचानक मुझे लगने लगा कि हां वो काला ही तो है
भीड़ से आवाज मिलाकर मैं चिल्लाया
हां.... कितना..... काला,
उसके बाद से मुझे नहीं मिला किसी भी रंग में अंतर
जो वो देखते रहे, मुझे भी लगता रहा वैसा ही
मैंने काले को सफेद, सफेद को हरा,
हरे को लाल और नीले को कहा काला
और फिर मैं भूल गया कि मैंने क्या कहा किस को
लेकिन
मेरे हाथ कांप रहे है आज
मुश्किल हो रही है मुझे बोलने में
जल पूछ रहा है,
रंगों की किताब हाथ में लेकर
पापा जरा बताओं तो ये कौन सा रंग है
मैं समझ नहीं पा रहा हूं
कि
इसको कौन सा रंग कौन सा बताना है।

4 comments:

Anonymous said...

अफ़सोस कि ये अहसास होने में इतना वक्त लगा आपको। कीचड़ में रहकर उसे साफ़ करना एक बात है और महज़ अपने शरीर पर कीचड़ लपेट कर ये सोच लेना कि अब मुझे इस कीचड़ से ख़तरा नहीं, ये ज़िदगी जीने का दूसरा तरीका है। ज़िंदगी जियो तो ऐसे कि आइने के सामने नज़रें उठा सको। वैसे ये सब कहने की आपके सामने न तो मेरी उम्र है और न ही तजुर्बा लेकिन फिर भी वक्त बचा रहा हूं वरना कुछ साल बाद आपकी तरह सबकुछ काला दिखने लगेगा।

अनिल कान्त said...

हम लोग जिंदगी में अपनी निर्मलता खो देते हैं लेकिन एक बार फिर जब वो किसी रूप में सामने आती है तो ऐसा ही महसूस होता है

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

Prabuddha said...

डॉ. आर्या ने शायद ऐसे हालात के लिए ही लिखा है-
कभी बग़ावत, कभी मुख़ालफ़त रोज़ का क़िस्सा था
अब ख़ामोशी सी है हम दोनों के दरमियां...

एक मुद्दत हुई उस ज़मीर से मिले

कम से कम जल को रंगों की सही पहचान बताना वरना किसी दिन इंद्रधनुष को देख कर कहेगा- पापा, देखो किसी बदमाश ने रंगों की दुकान लूट कर आसमान में सेल लगा दी।

Unknown said...

रंग काला ही सही...पर मुझ पर कब चढ़ जाता है,,,मालुम नहीं पड़ता। रंग काला जब किसी और रंग से मिलता है तो अफसोस होता है कि मैं काला क्यों हो गया। वो चमक वो हसीं वो मासूमियत काश मुझमें जिन्दा होती तो मै काला न पड़ता। काले रंग से लड़ना मुश्किल है लेकिन जब काला रंग मुझसे हारता है और कोई और रंग मुझसे आकर मिलता है तो अच्छा लगता है..... तो जल को उन्हीं अच्छे रंग से मिलवाइएं....और वो रंग उसपर ऐसा चढे की लाख कोशिश के बाद भी काला रंग उस पर ठहर ना पाए।