Tuesday, March 17, 2009

मुतालिक का हमला औरतों पर

मुतालिक हिटलर है,..........
मेरी आवाज में गुस्सा था,
दिखाना जरूरी था
क्योंकि एंकर भी गुस्से में थी,
इसका ख्याल रखते हुये
मेकअप न बिगड़ जाये,
या आवाज में दिख न उम्र का असर।
बहुत मुश्किल होता है आवाज को सुरीला रखना
बढ़ती उम्र के बावजूद,
एंकर जानती है आवाज की तेजी एक सीमा से बढ़ी नहीं
कि प्रोड्यूसर को मौका मिल जायेगा कहने का
उम्र हो गयी है इसकी, अब प्राईम टाईम में नयी एंकर को जगह दो,
मुझे चैट करनी थी उनके साथ जिनकी इंग्लिश बेहद नफीस थी,
बहुत नाराज थी वो सब मुतालिक सेना के पब पर हमले से,
कुछ ने पिंक चढ्ढियां भेजी, कुछ ने दौरा किया
कुछ ने अखबारों में लिखा कुछ ने टीवी पर चिल्लाया,
आखिर आईटी सिटी में हमला था देश की तरक्कीयाफ्ता लड़कियों पर
चैट लंबी थी, चर्चा देर तक चली,
मेकअप को ठीक करती शालीन औरते मुस्करा रही थी
चर्चा में कही अपनी धारदार बातों को याद करके।
और मुझे गुजरना था,
दिल्ली की जीबी रोड से,
मेरठ के वैली बाजार से,
कोलकता के सोनागाछी से,
और मुंबई के कमाठीपुरा जैसे हर शहर के बाजार से..............,
जहां इतनी देर में मुझ जैसे चार ग्राहक निबटा चुकी होगी
औरते जैसी दिखने वाली मांस और हड्डी की मूर्तियां
मुतालिक क्यों नहीं जाते तुम उधर......,
शालीन औरतों को उधर नहीं जाना चाहिये दाग लग जाता है
कैमरे के ढंके लैंस में तस्वीरे नहीं उभरती है जनाब

2 comments:

Anshu Mali Rastogi said...

मुतालिक अब बोलो क्या बोलते हो!

sanjay sharma said...

मुतालिक की चड्डियां उतार दीं और ज़बान का ढक्कन बंद कर दिया... पिंक चड्डियों से थोड़ा भी शर्मसार होता मुतालिक तो कुछ चड्डियां औरतें जैसी दिखने वाली हाड़ मांस की मूर्तियों को ही भेज देता ताकि कहीं किसी के तो काम आ सकतीं... क्योंकि मुतालिक जैसों को उन चड्डियों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी.. वो तो नंगे हैं और ऐसे ही रहना भी चाहते हैं....