Monday, March 16, 2009

दोस्त से बातचीत

तुम जानते हो यार
ओबामा अमेरिका को बदल देंगे।
ओसामा छिपा है हिंदुकुश के पहाडो़ में,
इजराईल ने बना लिया है नया रडार,
आतंकियों के हाथ लग सकता है कैमीकल बम।
हैंड्रान से मिल सकता है गॉड पार्टिक्लस,
है भगवान हैच फंड से बैठ गया भट्ठा देश की अर्थव्यवस्था का।
बैगन...टमाटर मत खाना हो सकता है कैंसर,
दो पैंग शराब से पीने से रहेगा दिल मजबूत
मालूम नहीं है मुझे ये सब,
लेकिन तुम बताओ दोस्त
आखिरी बार कब देखा था तुमने ख्वाब
कि
खेतों में तितलियों के पीछे दौड रहा तुम्हारा बेटा
और उसे पकड़ रहे हो तुम,
या
तुम्हारी गोद में बैठा बेटा पूछ रहा
पापा यदि चांद हमारा मामा है तो घर क्यों नहीं आता.
उसमें काला दाग क्यों हैं।
तुमने कब देखा था नीम और शीशम के पत्तों का अतंर आखिरी बार।
और कौन सा पेड कटा आखिरी में
घर से स्कूल के रास्ते पर
जिसके दोनों और पेड ही पेड थे।
हां
मैं जानता हूं ये बात
नया सीखने के लिये पुराना भूलना पड़ता है
........शायद........हां ...शायद....नहीं

3 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

बहुत सुंदर तरीके से आप अपनी बात कह गए ...देखिये उसका असर भी चोखा होगा ....अच्छी पोस्ट के लिए बधाई

sanjay sharma said...

मेरे यार.. बार-बार.. आता है तुम्हें फिर याद वो ज़ालिम गुज़रा ज़माना बचपन का... खुशकिस्मत हो तुम कि जल के साथ अपना भी बचपन और अपना पचपन (भाषा या गिनती पर नहीं भाव पर ध्यान दें)साथ-साथ जी रहे हो ... जल की आंखों के ख्वाब तुम्हारी आंखों से दिखलाई देते हैं हम सबको... सच में.. इंतजार रहता है तुम्हारे नये पोस्ट का ताकि जल की उंगली थामें ख्वाबों का कारवां हमारे आगे भी दो पल को ही सही थम तो जाय...

Anonymous said...

कई बार सपने में पकड़ी हैं मैने तितलियां; देखीं हैं परी लेकिन अब तो ओबामा और धमाके ही दिखते हैं। स्‍क्रीन पर भी; सपने में भी।...बड़े हो गए हैं हम और हमारे बच्‍चे भी; शायद बचपन देखा ही नहीं उन्‍होंने बचपन में और हम फिर भी कभी-कभी पचपन में भी बचपन देख लेते हैं।