मुझसे जो कहा गया
मैं वही नहीं बन पाया
खेल के मैदान में कहा गया,
मुझे बड़ा खिलाडी बनना है
मैं सही से खेल नहीं पाया
स्कूल में मुझे सबको टॉप करना था
और मैं अपने ही सबक भूल गया।
मुझे जब पढना था, मैंने खेलने को तरजीह दी
और जब खेलना था, तब मैं पढ़ने लगा
इस तरह खो गया अपने रास्ते
अब जल कहता है पापा खेलना है
मैं कहता हूं कि हां... यदि मन करे तो
और जब वो कहता है कि पापा किताब
तो मैं कहता हूं हां यदि पढ़ना चाहों तो
रास्ता तुमको तय करना है,
जूते मेरे मत पहनना।
1 comment:
सही रास्ते पर जा रहे हो गुरू... कटोरे में कटोरा.. बेटा बाप से भी गोरा... चिंता ना करो तुमसे भी चार कदम आगे भागेगा जल... कुछ बरस बाद शायद उसका जूता तुम्हारे पैरों में जरूर आ जाएगा...
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