Tuesday, November 24, 2015

आमिर खान, आजम खान नहीं है। बात पर गौर कीजिए।


आमिर खान को महसूस हुआ है कि इस देश में माहौल पिछले छह महीने से खराब हुआ है। और हालात इतने खराब हो गए है कि परिवार देश छोड़ कर जाने की सोचने लगा। परिवार की खास बात है कि वो हिंदुस्तान की एक सहिष्णु तस्वीर मानी जा सकती है ( आजकल की बुद्दिजीवि सहिष्णु व्याख्या) पति मुसलमान है और पत्नी हिंदु है। और इस बात को ऐसे समझना है कि बकौल आमिर खान बाहर जाने का सुझाव उनकी हिंदु पत्नी ने दिया है ( अगर शादी स्पेशल मैरिज एक्ट में हुई है तो किरण राव नाम रहा होगा अगर मुस्लिम रीति-रिवाज से तो वो मुस्लिम धर्मांततरित हो चुकी होगी नाम मालूम नहीं) एक के बाद एक सेक्युलर बुद्दिजीवियों के दुख के बाद अब आमिर साहब का दुख सामने आया। इस दुख में थोड़ा कुछ ज्यादा मामला है। क्योंकि देश में लाखों- करोड़ों भीख मांगकर खाने वालों को भी आमिर खान का नाम मालूम है। आमिर खान साहब की फिल्मों देखी है और भीख से हासिल रूपयों से एक बड़ा हिस्सा खान साहब को दिया है। शायद ही किसी भिखारी ने अवार्ड वापसी के नाटक में शामिल किसी बुद्दिमान की किताब पढ़ी हो या फिर नाटक देखा। मुझे मालूम नहीं कि कृष्णा सोबती की किताबों को अब लाईब्रेरी से कितना इश्यु कराया जाता है। ( मेरी पसंदीदा लेखक है) ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आमिर किस बात से आहत है। बीफ न खाने देने के अधिकार से। अखलाख की हत्या से या फिर राजनीति के बदलाव से। रही बात बीफ खाने की तो आपके पडोस में रहने वाली शोभा डे खुले आम ट्वीट कर असहिष्णुओं की गैरत को ललकारती है कि मैंने अभी बीफ खाया है आओ मारों मुझे। और कोई पानीदार नहीं पाया गया लिहाजा इस बात से आपको आहत होने की कोई वजह नहीं है। अब आमिर की बीबी अखबार नहीं खोलती है। डर से। लेकिन किसी फिल्मी हस्ती से पर्स छीनते हुए कत्ल नहीं हुआ। किसी फिल्मी हस्ती को मिल रेप केस जैसे हादसे से नहीं गुजरना पड़ा। ( ये सिर्फ घटना बता रहा हूं फिल्मी हस्तियों पर व्यंग्य नहीं कस रहा हूं) उनके बच्चों को डर है। उनके बच्चे देश में नहीं पढ़ते है शायद। या देश के सबसे सुरक्षित माहौल वाले महंगे स्कूलों में पढ़ते होंगे। उनके बच्चों को जो माहौल मिला है वो शायद देश के 1 फीसदी से कम लोगो के बच्चों को मिल पाता होगा। उनकी बीबी को मार्किट में सब्जी खरीदते हुए या फिर बच्चों के लिए ड्रेस खऱीदते हुए भी नहीं देखा है। फिर कुछ तो है जो आमिर खान को परेशान कर रहा है। पिक्चर के हिट कराने का दर्द। या फिर दूसरा कोई कारण।
पिछले कई दिनों से ये सवाल बार बार दिमाग में आता है और फिर लौट जाता है क्योंकि कडवा सच और कड़वा बोलना दोनों मिट्टी की आम रवायतों में शामिल नहीं है ( धर्म नहीं कह रहा हूं और जिनको लगता है इसमें धर्म का योगदान है तो वो अपनी समझे) इसीलिए अगर पिक्चर चलाने का दबाव नहीं है तो फिर ये भी धर्म से जुड़ा हुआ मामला है क्या। क्योंकि अगर माहौल असहिष्णु है तो इसका खामियाजा सबसे ज्यादा मुसलमान ही भुगत रहे होगे। मुसलमानों पर अत्याचारों का एक लंबा सिलसिला चल रहा होगा। अखलाख की मौत की कहानी मीडिया में जिस तरह आई और जिस तरह पेश की गई उसका जमीन से कोई रिश्ता नहीं था। लेकिन मीडिया के बौंनों के दम पर पेश की गई कहानी को देश की कहानी बना दिया गया और उस पर बहस नहीं देश को नीचा दिखाने की एक हो़ड़ शुरू हो गई। लेकिन अपना सिर्फ एक मानना है कि आमिर खान साहब आपके लिए देश ही देश है। आपने गरीब और असहिष्णु हिंदुस्तानियों की वजह से काफी पैसा कमा लिया। लिहाजा आप शैतानों के देश अमरीका भी जा सकते है , या छोटे शैतानों के देश यूरोप के किसी देश में अपने इसी पैसे के दम पर पनाह ले सकते है। क्योंकि आप की पत्नी को यहां का माहौल बड़ा असहिषणु दिख रहा है । आप को याद है कि नहीं पिछली फिल्म में आपने असहिष्णुओं के देवता का सरेआम मजाक उड़ाया था और आप मजे में सुपरहिट रहे। हम लोग सिर्फ ये कह सकते है कि आप आजम खान नहीं है इसीलिए आपकी बात सुननी चाहिए।
आजम खान साहब की तुलना इस लिए नहीं कर रहा हूं क्यों आजम खान साहब को वोट चाहिए और वो जानते है कि इस रास्ते से वोट की फसल काटना आसान है। और उनको वोट मिल भी रहे है। उनकी व्याख्या बेहद महीन होती है। वो आज भी बादशाह में यकीन रखते है। वो मानते है कि फिलिस्तीन, सीरिया, इराक, लीबिया या दुनिया के तख्ते पर जो भी मुसलमानों के साथ हो रहा है कुछ वैसा ही हिंदुस्तान में बहुसंख्यक आबादी मुसलमानों के साथ कर रही है। उनके पास रामपुर के नवाब के भाषणों की कॉपियां भी बची होगी जो बंटवारे के वक्त उऩ्होंने दिए थे।
खैर बात वापस फिर आमिर साहब पर। आमिर खान साहब आप भले ही कही चले जाएं आपकी सामर्थ्य में है ये बस। लेकिन सवा अरब लोग अपने बच्चों का क्या करे उनकी सुरक्षा के लिए क्या करे। इस धरती के तख्ते पर उनको कहां पनाह मिलेगी। और आखिर में एक बात और जो अपनी ओर से कहना चाहूंगा कि आप कही भी जाएं लेकिन प्लीज मिडिल ईस्ट न जाएं क्योकि महिलाओं को वहां ये सुझाव देने की ताकत वहां नहीं रह जाएंगी। ( ये मेरी समझ है और दोस्त नाराज न हो)

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