Saturday, December 8, 2012

इस जन्म के ईश्वर

रास्ते पैरो से चिपक कर घर चले आते है

बाते जिंदगी की कमीज के बटन

उम्मीद घर में रखी एक झाडूं

रात ऐसा जंगल जिसमें खो जाते है रास्ते

सुबह जिंदगी का नया कपड़ा

उम्मीद की झाडू से

बुहारता हूं नाउम्मीदियों की गर्द

रास्तों के जूते पहन

निकलता हूं सूरज के सौंवे घोड़े के रास्ते पर

दोस्तों की क्षमा

दुश्मनों की बोलियां

जेब में पड़ें सिक्कों की तरह

गिनता हूं और वापस डालता हूं

ना सिक्के ज्यादा है न

दोस्त और दुश्मन।

मुझसे

दोस्ती के फायदे नहीं है

दुश्मनी के मायने नहीं है

लिहाजा भूला दिया गया

सिगरेट के खींचे गये हजारों कश की तरह

हालात मंगल पर बने हुए बादल

मैं तभी देख पाता हूं जब अखबार में छपते है

मां की आवाजें
, पिता की निगाहें

बहनों का स्नेह, भाई की दुआ

जिंदगी के आसमान में चमकीले तारे

महीनों में उपर देख पाता हूं

जब भी देखता हूं

सुंदर दिखते है

भूल से भी देखों तो

मुझे रोशनी मिलती है

रास्तों का पता मिलता है

और कुछ भी नहीं

तो ये सलाह

रात है

संभल कर चलना

लेकिन मुझसे तारों को

क्या मिलता है

घर में एक धुव्र तारा है

रास्ते में जूते हो

या

जूते रास्तें हो

दिखाता रहता है राह

झूठी प्रार्थना

सच्चें अनुग्रहों के सहारे

जी लिया मैंने

अरबों प्रकाश वर्ष का जीवन

हे इस जन्म के ईश्वर

मुझे माफ कर

उतार मेरी आत्मा से

इस बदन का कपड़ा

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