फूलमालाओं से लदे गले
खूबसूरत सच के चेहरे
मंच से आती आवाज
कानों तक पहुंचतें पहुचतें
झूठ क्यों हो जाती है
आंखों से जो दिख रहा
वो कानों तक पहुंचता क्यों नहीं
मैंने देखा है कई बार इस चेहरे को
किताबों के सहारे
गले में अटके गीतों को,
गम से गूंगे, दर्द से बहरे हुए
जिंदगी की काठी में
दम लेने भर के लिए फंसे लोगों की आवाज को
अपनी लेखनी से सांस देते हुए
शब्द जैसे दर्द से दहक रहे हो
लाईनों में बह रहा हो अपमान का अंगार
लाईनों को पढ़ा और नमन किया कई बार
मंच पर ये क्या कह रहे है
मेरी आंखों में दिमाग के सहारे दिखी लाईने
धुधंली क्यों दिख रही है
आवाज उन लाईनों से मिल क्यों नहीं रही है
जो इनके नाम से किताबों में लिखी गयी है
मंच पर बैठी सत्ता का गुणगान
झूठ का अभिवादन सीना तान
इसी के लिये हासिल किया था
क्या
इतना यश इतना मान
ये बेबसी कौन सी है
चेहरे पर ये हंसी कौन सी है
दिखता है ये कौन सा
चरित्र सत्ता के सामने
सच के आईनों मे शक्ल बदलते
तुम भी वही निकले
केंचुलियों से घिरे
पद के मोह में
सत्ता के चरण चुंबन के लिये
गरीब के दर्द को अपना हथियार बनाते
मंच को गालियां दे कर
वहां तक पहुंचने के लिये
सीढियों का रास्ता बनाते
मैं लाईने फाड़ नहीं सकता
तुम्हारे लिखे को मिटा नहीं सकता
मान लेता हूं
तुम कोई और हो
वो लाईनें जिसकी थी
वो कोई और था
खूबसूरत सच के चेहरे
मंच से आती आवाज
कानों तक पहुंचतें पहुचतें
झूठ क्यों हो जाती है
आंखों से जो दिख रहा
वो कानों तक पहुंचता क्यों नहीं
मैंने देखा है कई बार इस चेहरे को
किताबों के सहारे
गले में अटके गीतों को,
गम से गूंगे, दर्द से बहरे हुए
जिंदगी की काठी में
दम लेने भर के लिए फंसे लोगों की आवाज को
अपनी लेखनी से सांस देते हुए
शब्द जैसे दर्द से दहक रहे हो
लाईनों में बह रहा हो अपमान का अंगार
लाईनों को पढ़ा और नमन किया कई बार
मंच पर ये क्या कह रहे है
मेरी आंखों में दिमाग के सहारे दिखी लाईने
धुधंली क्यों दिख रही है
आवाज उन लाईनों से मिल क्यों नहीं रही है
जो इनके नाम से किताबों में लिखी गयी है
मंच पर बैठी सत्ता का गुणगान
झूठ का अभिवादन सीना तान
इसी के लिये हासिल किया था
क्या
इतना यश इतना मान
ये बेबसी कौन सी है
चेहरे पर ये हंसी कौन सी है
दिखता है ये कौन सा
चरित्र सत्ता के सामने
सच के आईनों मे शक्ल बदलते
तुम भी वही निकले
केंचुलियों से घिरे
पद के मोह में
सत्ता के चरण चुंबन के लिये
गरीब के दर्द को अपना हथियार बनाते
मंच को गालियां दे कर
वहां तक पहुंचने के लिये
सीढियों का रास्ता बनाते
मैं लाईने फाड़ नहीं सकता
तुम्हारे लिखे को मिटा नहीं सकता
मान लेता हूं
तुम कोई और हो
वो लाईनें जिसकी थी
वो कोई और था
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