Saturday, May 29, 2010

अधिकारी घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट खरीद रहे है।

पाकिस्तान के लिये जासूसी के आरोप में प्रमोटी आईएफएस माधुरी गुप्ता पर शिकंजा कसा। मीडिया ने आसमान सिर पर उठा लिया। माधुरी गुप्ता इस्लामाबाद में भारतीय हाईकमीशन में सेकेंड सेक्रेट्री थी। और इस लेवल की अधिकारी की पहुंच महज कागज की क्लिपिंग्स और रोजाना मीटिंग्स के एजेंडें तक होती है।
लेकिन मीडिया ने बताया कि उसने काबुल में भारतीय अधिकारियों पर हुए हमले में जानकारी लीक की। उसने 26/11 के मुंबई हमले में देश के बड़े सीक्रेट्स लीक कर दिये।
एक दूसरा मामला सीबीआई ने गृह मंत्रालय के बड़े अधिकारी को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया। डिजास्टर मैनेजमेंट में ज्वाईंट सेक्रेट्री ओ रवि सीनियर आईएएस है। उन्होंने सरकार को लगभग 350 करोड़ की चपत लगाई महज पचास लाख की रिश्वत के बदले।
इसी के साथ एक और अधिकारी पर सीबीआई की गाज गिरी। आर एस शर्मा पर देश के सुरक्षाकर्मियों के लिये बुलेट प्रूफ की क्वालिटी चैक करने की जिम्मेदारी थी वो पैसा लेकर घटिया क्वालिटी की बुलेट जैकेट खरीदने में जुटे थे।
मुंबई हमले के दौरान शहीद हुये हेमंत करकरे की मौत का कारण घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट थी। ये आरोप उनकी पत्नी ने लगाया था। देश के जवान आतंकवाद से लड़ रहे है और उनके लिये दिल्ली में बैठे बड़े अधिकारी घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट खरीद रहे है। लेकिन मीडिया के लिये माधुरी गुप्ता से छोटी खबर है।
उत्तर प्रदेश में पुलिस कर्मियों और पैरामिलिट्री फोर्स के एक ऐसे गिरोह का भांडा-फोड़ हुआ जो नक्सलियों को गोलियां सप्लाई कर रहा था। हर तरह के कारतूस इंसास राईफल से लेकर दुनाली बंदूकों तक।
नक्सली हिंसा को लेकर देश के प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री रोज बयान जारी करते है। देश इनसे निपटने के लिये हथियार खऱीद रहा है,हेलीकॉप्टर और अत्याधुनिक मशीनगन। सरकार में बहस है कि नक्सलियों के खिलाफ आर्मी और एअरफोर्स का इस्तेमाल किया जाये कि नहीं। लेकिन 76 जवानों को मौत की नींद सुलाने में कामयाब रहे नक्सलियों के लिये बढ़-चढ़ कर बोलने वाल सरकारें इस बात पर चुप है कि किस अधिकारी ने बिना तैयारी के नक्लियों पर हमला करने के आदेश दिये।
इससे भी बड़ी खबर जो दफन हो गयी बिना किसी कराहट के वो है 26/11 से जुड़ी हुई। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 21 नवंबर 2008 को देश की खुफिया एजेंसी इंटेलीजेंस ब्यूरो को तीस ऐसे मोबाईल नंबर की लिस्ट भेजी थी जिन पर फौरन जांच करनी थी।
जम्मू पुलिस के पास ऐसे फोन टैप थे जिसमें आतंकवादी साफ तौर पर मुबंई या दिल्ली में जल्दी ही बड़ा फिदाईन अटैक करने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन देश के राजनेताओं की फोन टैपिंग में लगी आईबी के लिये आतंकवादियों के फोन टैप करना बहुत जरूरी नहीं था।
पांच दिन बाद ही देश में सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ। और हैरानी की बात थी कि जम्मू पुलिस के भेजे तीस फोन नंबर में से तीन नंबर इस हमले में इस्तेमाल हुये। इन नंबरों से फिदाईन आतंकवादी पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से पल-पल संपर्क में थे। हमले के बाद देश पाकिस्तान पर हमला करने को तो तैयार था।
लेकिन उन लापरवाह अधिकारियों का बाल भी बांका नहीं करना चाहता जिनकी लापरवाही ने देश को इतना बड़ा हमला झेला। इसी बीच सरकार के खिलाफ विपक्ष का कट मोशन बुरी तरह घिर गया।
महंगाई के विरोध पर उत्तर प्रदेश और बिहार का चक्का जाम करने वाले मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव ने मतदान में हिस्सा ही नहीं लिया।
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने उसी कांग्रेस का समर्थन कर दिया जिसके खिलाफ लाखों की भीड़ लखनऊ में महज 30 दिन पहले इकट्ठा की थी। जेहन में बस इतनी बात जरूर कोंधती है कि मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ सबूत होने का दावा करने वाली सरकारी जांच एजेंसी सीबीआई ने एक हफ्ते में अपना रूख बदल लिया। और मुकदमें पर दोबारा विचार की बात की है।
मुलायम सिंह यादव और लालू यादव को भी याद है आय से अधिक संपत्ति के मामले। सबकी नकेल केंद्र् सरकार के हाथ में है। और मी़डिया भी सरकार की धुन पर नाच रहा है।
आम आदमी इस नूरा कुश्ती को सिर्फ देख सकता है, गर्दन हिला सकता है या फिर आंखें बंद कर सकता है। क्योंकि आईपीएल की आंच जैसे ही देश के केन्द्रीय मंत्रियों तक पहुंची तो मीडिया से मामला ही साफ हो गया। क्यों......

2 comments:

माधव( Madhav) said...

who cares it

Unknown said...

ये तो काफी पहले से चल रहा है
देश के लोग ही देश को दीमक की तरह चाट रहे हैं

http://mydunali.blogspot.com/