Sunday, May 23, 2010

ब्लाग में जन्में पोप

अभी हाल में ब्लॉग की दुनिया के बारे में नया कुछ जानने को मिला। कुछ ब्लॉग और ब्लॉगों से जन्मी वेबसाईट् जगह-जगह सेमीनार करा रहीं हैं। ब्लॉग्स की दुनिया के बारे में सेमीनार। उनमें देश के बड़े-बड़े बुद्धिजीवि अपनी जुबां की खराश मिटा रहे हैं। ये तमाम बुद्धजीवि तब किसी नये सुझाव के साथ कभी नजर नहीं आये जब तक देश के लाखों करोड़ों लोगों के पास इस तरह का कोई विकल्प नहीं था। लेकिन इन लोगों को आप तब भी देख और पढ़ सकते थे कभी ये न्यूज पेपर में छपते थे तो कभी ये किसी प्रकाशन से अपनी कृतियों के प्रकाशन के समय दिखायी देते थे। बाद में न्यूज चैनल्स आये तो इन बुद्धिजीवियों की दुकान वहां जम गयी। खूब चले अपनी विवादास्पद बातों के दम पर। खुद पूरे पहुंचें हुए दारू की दुकान जेंब में लेकर चलने वाले। और औरतों और लड़कियों को सामान बोलने वाले लोगों की इस जमात की किताबें आप को देश भर के बड़े प्रकाशनों से हजार की तादाद में छपी हुई मिल जायेंगी।
ये बयानवीर कभी किसी नये बदलाव के लिये चर्चित होते थे जब खुद आपस में जबानी जंग करते थे। वो भी लूट के लिये तैयार चकाचक।
इस बीच में आम आदमी के लिये कही मंच नहीं था। वो मीडिया के रहमोकरम पर था। पहले अखबार के संवाददाताओं की चिरौरी और बाद में टीवी के ग्लैमरस रिपोर्टरस की जमात के आगे अपने भीख मांगते से अपनी बात कहने की कोशिश करता था।
सालों तक देश में यही हालत रही। तभी तथाकथित विद्धानों के मुताबिक नैतिक तौर परभ्रष्ट्र पश्चिमी देशों से आयी एक नयी क्रांत्रि। ब्लाग्...।यानि आप को जो महसूस हो रहा है। दुनिया के बदलाव को आप जो समझ रहे है। दुनिया से आप को क्या उम्मीद है। बिना किसी लाग-लपेट के आप अपनी बात जब चाहे दुनिया तक पहुंचा सकते है। बिना किसी को परेशान किये। जिन को आप के विचारों में दिलचस्पी है वो उसको पढ़ लेंगे और जिनको नहीं है वो उस पर देखें बिना अपना वक्त गुजार लेंगे।
काफी दिन तक इस लोकतंत्रात्मक संचार पद्धति ने उन लोगों को चकित कर दिया जो तथाकथित बुद्धजीवियों के चेलों के तौर पर मीडिया में अपनी जगह बना रहे थे। लेकिन जितना उनके गुरू सफल रहे उतनी बाईट्स नहीं खा पा रहे थे। अब उन लोगों ने अचानक अपने-अपने ब्लॉग्स बनाये औऱ उतर पड़े मैदान में। जिसकों देखों अपने गुरू की अखाड़े की मिट्टी बदन पर लगाये नयी नयी कहानी सुना रहा है। यानि जितना विवादास्पद बयान दें उतनी ही टीआरपी। इसमें भी मीडिया के लोगों की भरमार। भाई लोग टीवी औऱ अखबार में अपनी जुबां और कलम के दम पर कुछ कर पाये हो एतो उसकी कमाई और नहीं कर पाये तो इसलिये रगड़ाई। आप को हैरानी हो सकती है अगर आप ये देंखें कि कितने पत्रकारों के ज्ञान की उल्टी रोज इस आम आदमी के मीडियम पर हो रही है। भाई लोगों को ओर कुछ नहीं सूझा तो उन लोगों ने शुरू कर दिया ब्लाग्स के लोगों की पंचायती करना।
मैं और तो कुछ नहीं कहना चाहता लेकिन मैं इन खुदाई खिजमतगारों से कहना चाहता हूं कि भाई जिन लोगों को ब्लॉग्स तो अपने आप चलने वाली दुनिया है। उसमें आपके शराबी कबाबी गुरूओं की पंचायत की जरूरत नहीं है। आप खां म खां नेता बनने पहुंच गये। आप को जितना भी ज्ञान बघारना हो अपने ब्लॉग्स पर बघारे जिसे जरूरत होंगी आप से ले लेगा। आप को पोप बनने की जरूरत नहीं है। ना ही आम जनता को किस्मत से हासिल इस अधिकार को गंदा करने की। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता लेकिन ब्लाग्स के नाम पर चल रही इस दुकानदारी से सब लोग परिचित होंगे।