Wednesday, June 24, 2009

तालिबान टीआरपी है भाई नक्सली नहीं.

पाकिस्तान पर कब्जा कर लेगा तालिबान। बुनेर तालिबानियों के कब्जे में। आतंकवादी दे रहे है महिलाओं को सजा। मोहब्बत करना हुआ गुनाह वजीरीस्तान में। हिदुस्तानी मीडिया की हाल की हैडलाईन है। खासकर इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिये यू ट्यूब से लिये गये वीडियो टीआरपी मीटर को गति देने का साधन बन गये।
क्या हुआ पाकिस्तान के नौशेरा, बुनेर, और भी जाने कितने ऐसे कस्बों और गांव के नाम हिंदुस्तानियों की जबान पर ऐसे चढाये गये जैसे दिल्ली का कनॉट् प्लेस हो। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में किस जगह कितने तालिबानी है सबका हाल-पता है हिंदुस्तानी मीडिया के पास। उनके पास कितने हथियार है और उनका मेक कौन सा है ये भी आपको स्क्रीन पर खूबसूरती से इठलाते एंकर बता रहे है।
लालगढ़ कहां है भाई। वहां किसका कब्जा है। वहां भी औरते रहती है। वहां के कई थानों में हिंदुस्तानी कानून का नामो-निशान मिटा दिया गया। लेकिन हिंदुस्तानी मीडिया चुप है। लगता ही नहीं कि लालगढ़ का कोई नामों-निशान हिंदुस्तान में है। वहां कई महीनों से तिरंगा नहीं फहराया गया सरकारी ईमारतों में। थानों पर नक्सलियों का कब्जा था। लेकिन इस बात का किसी को ईल्म नहीं है कि कौन इस नक्सलियों की जमात को हैड कर रहा है। कौन से हथियार है इनके पास कहां से लाये है ये हथियार। लेकिन न हिंदुस्तान के मीडिया को इलाके की टूटी सड़के दिखी न दिखी वहां छायी गरीबी। ऐसा नहीं है कि टीवी पर लालगढ़ दिखा ही न हो लेकिन दिखा तो उस दिन जब टीवी चैनल्स को लगा कि आज पैरामिलिट्री और नक्सलियों के बीच खून खराबा होने वाला है। खूनखराबे का मतलब है अच्छी टीआरपी की फसल। ऐसा हुआ नहीं। और लालगढ़ टीवी के नक्शे से गायब। हालांकि अखबार के किसी पन्ने पर लिखा था कि अब पैरामिलिट्री फोर्स रामगढ़ को भी नक्सलियों के कब्जे स छुडाने वाली है। यानि अभी भी वो हिस्सा हिंदुस्तानी नक्शे में सरकार के नियंत्रण से बाहर है। ये यही इसी देश में है भाई क्या मीडिया को दिखता है भाई।

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