Friday, April 10, 2009

कैसे जियोगे जल अपनी जिंदगी

शिकारियों ने मार गिराया शेर को पालतू कुत्तों के साथ,
शेरों की संख्या अब जल्दी हो जायेगी निल....,
लेकिन शेर नहीं बदलता अपनी आदत,
बारिश में तलाश करना साये की,
पेड हो या फिर कोई मुंडेर,
हर पंछी की यही जरूरत होती है।
मैंने बाद में जाना कि बादलों के पार....
उड जाता है बाज बारिश से बचने के लिये,
बाज खत्म हो रहे है अंधाधुंध शिकार के चलते।
इन सबके बीच ......
जल,
मैं जो कह नहीं पा रहा हूं,
तुम्हारी जानने की उम्र के बावजूद.......
अपनी शर्तों पर जीना,
हर रोज मौत की उम्मीद के साथ,
या
कुत्तों के पट्टे में,
शेरों का शिकार करते हुये,
मालिकों के हांके पर नोंचते हुये
घेरे में आये शिकार को,
उनकी शर्तों पर जीते हुये,
उसके बाद हासिल मांस के छोटे से टुकड़े से पेट भरकर,
शांति से मरना एक कुत्ते की मौत ,
इन दोनों रास्तों में कौन सा रास्ता तुम चुनोगे,
मैं नहीं जानता ,
जिंदा रहा तो तुम्हारी चाल/उडान से मुझे पता चल जायेगा।
मैं नहीं रहा तो.
श्राद्ध करने से बेहतर होगा
लिख कर रख दो मेरे पास।
कि तुमने कौन सा जीवन जिया।
और एक बात जो मैं तुम को जरूर बताउंगा,
मेरे पिता खुश नहीं है,
मेरे शांत जीवन की शर्तों से,

2 comments:

Anonymous said...

शेर को आप पिंजड़े में कैद कर सकते हैं लेकिन उसे पट्टा डालकर पालतू नहीं बना सकते।...और आप भी उसी प्रजाति से हैं; इसलिए जबरन शांति के साथ रह ही नहीं सकते।

sanjay sharma said...

अतीत की उम्मीदें भूलकर, वर्तमान अपनी शर्तों पर जीकर अब भविष्य से उम्मीदें(?)बेमानी नहीं.. ये ही सदियों से चला आ रहा सच है पीढ़ी दर पीढ़ी... शेर का पालतू हो जाना लाला की नौकरी जैसा है.. वैसा ही जैसे कोई रिपोर्टर, कोई अफसर और कोई वर्कर हो जाय...