Sunday, February 21, 2010

फरेब में कट गयी जिंदगी....

सच कहूं कि चुप रहूं
हूं जो वही दिखूं, या कुछ ओर लगूं
सोचता रहा हूं दिन रात
...और फरेब में कट गयी जिंदगी
खूबसूरत बनने की तलाश करूं
या
खूबसूरत लोगों के साथ रहूं
उलझा रहा इसी उलझन में रात-दिन
..और फऱेब में कट गयी जिंदगी