Monday, November 1, 2010

सेना के (खळ) नायक

शर्म की बात है तो ये कि पैसे के लिये बिकने वाले और अपना ईमान बेचने वालों में अब सेना के लोग भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे है। इस मामले में ये घोटाला तो आदर्श है कि जल सेना, थलसेना और वायु सेना तीनों सेनाओं के शीर्ष अधिकारियों ने लूट में सामूहिक हिस्सेदारी ली। ये वो लोग है जो अब मासूमियत का दिखावा करते हुए फ्लैट वापस करने की पेशकश कर रहे है। कितने बेवकूफ अधिकारी रहे होंगे अगर इनको इतना भी नहीं मालूम होगा कि 8 करोड़ का फ्लैट 80 लाख में मिल रहा है तो क्या कारण है। दरअसल इतनी मासूमियत से ये लोग ईमानदारी का गला घोंटते है कि इनके लिये गला भर आएं। इन लोगों की सेलरी का हिसाब निकाल लिया जाएं और इनके रहन-सहन का स्तर किसी स्वतंत्र तरीके से चैक करा लिया जाएं तो आसानी से पता चल जाएंगा कि किस तरह से देश की लूट में इन महानुभवों ने अपना योगदान दिया होगा।
करगिल युद्ध। 1971 के बाद पहली बार इतने जवान और अधिकारियों की शहादत हुई। आजतक भी उस वक्त सत्ता में बैठे लोगों या फिर बाद में सत्ता में आएं लोगों ने इस बात का जवाब नहीं दिया कि कैसे आतंकवादी इतनी तादाद में भारतीय सीमा के अंदर घुस आएँ। कैसे बंकर बने कैसे रणनीतिक कब्जा किया गया। लेकिन सेना के अधिकारियों को तो जवाब देना था कि कैसे हुआ ये सब। अब आदर्श घोटाले ने जरूर देश को ये यकीन दिलाया कि किस तरह से ये मासूम अफसर अपना दायित्व निबाह रहे होंगे। कारगिल के शहीदों के नाम पर किस तरह से लूट की। इन अफसरों के सैकड़ों फोटो सेनाओं के ऑफिसों में लगे होंगे जिनमें ये कारगिल के शहीदों के प्रति अपना सम्मान जता रहे होंगे।

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